दिव्यांगों के यूडीआईडी कार्ड बनाने में मध्यप्रदेश अग्रणी
मध्यप्रदेश दिव्यांगों के यूनिक डिसएबिलिटी आई.डी. कार्ड (यूडीआईडी) बनाने में देश में शीर्ष स्थान पर है। बड़े राज्यों में मध्यप्रदेश ने 103 प्रतिशत से अधिक की उपलब्धि हासिल की है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य 6 लाख 60 हजार 313 के विरुद्ध प्रदेश में 6 लाख 83 हजार 551 दिव्यांगजनों के यूडीआईडी कार्ड बनाये जा चुके हैं। यूडीआईडी परियोजना का उद्देश्य दिव्यांगजन को शासकीय योजनाओं का लाभ आसानी से उपलब्ध कराना है। इस कार्ड से दिव्यांग देशभर में कहीं भी अपनी पहचान बताकर इलाज करा सकते हैं।
नये दिव्यांगता प्रमाण-पत्र एवं पुराने प्रमाण-पत्रों के नवीनीकरण की कार्यवाही सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग द्वारा सतत रूप से जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन के समन्वय से की जा रही है।
- यूनिक कार्ड पूरे देश में मान्य होगा।
- किसी भी सरकारी लाभ में सहायक होगा।
- भविष्य में विभिन्न लाभों को प्राप्त करने के लिये नि:शक्तजन की पहचान एवं सत्यापन का एकल दस्तावेज होगा।
- नि:शक्त व्यक्ति को अलग-अलग दस्तावेज रखने की आवश्यकता नहीं होगी।
- यूनिवर्सल आईडी कोड के लिये www.swavlambancard.gov.in/\
यूनिवर्सल आईडी कार्ड जनरेट करने के लिये भारत सरकार द्वारा यूडीआईडी पोर्टल https://www.swavlambancard.gov.in/ बनाया गया है। पोर्टल के माध्यम से दिव्यांगजनों का 18 अक्षरीय यूनिक आईडी कार्ड जनरेट किया जाता है। यह कार्ड विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये सहायक होगा। इससे दिव्यांगजन को अलग-अलग दस्तावेज रखने की जरूरत नहीं होगी।
“दिव्यांगजनों के लिये विशिष्ट पहचान-पत्र” परियोजना दिव्यांगजनों के लिये एक राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करने और एक विशिष्ट दिव्यांगता पहचान-पत्र जारी करने के उद्देश्य से वर्ष 2016-17 से प्रारंभ की गई है। परियोजना दिव्यांगजनों को पारदर्शिता, कार्य-कुशलता तथा सरकारी लाभ सुगम बनाने के साथ सार्वभौमिकता भी सुनिश्चित करती है। परियोजना गाँव, ब्लॉक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक लाभार्थी की भौतिक और वित्तीय प्रगति में सहायक है।
यूडीआईडी कार्ड बनाने, नवीनीकरण, पुन: प्राप्त करने, आवेदन की वस्तु-स्थिति जानने, नि:शक्तता प्रमाण-पत्र को डाउनलोड करने और व्यक्तिगत प्रोफाइल को अपडेट करने की सुविधा ऑनलाइन www.swavlambancard.gov.in/ पर उपलब्ध है।