MP: क्या कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठीक चल रहा है ?

एमपी कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है, इसका एक उदाहरण शुक्रवार को देखने मिला जहाँ कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री CM शिवराज से समय मांगते रह गए और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करके आ गए। इस मुलाकात ने कांग्रेस की नींद उड़ा दी थी। अंदरखाने से ख़बर है कि कांग्रेस के नेताओ के बीच गुटबाज़ी चल रही है तभी इतनी संवादहीनता के चलते सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा था।

इस पूरे वाकये से तमाम सवाल खड़े होते हैं जो कांग्रेस को मुश्किलों में डाल सकते हैं।

पहला सवाल ये है कि ये मामूली सी बात है कि जब कोई पार्टी धरना देती है तो अपने पार्टी अध्यक्ष को भरोसे में लेती है लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के धरना स्थल की एक वीडियो वायरल हो रही है जिसमें कमलनाथ खुद कह रहे हैं कि मुझे तो पता ही नहीं था कि धरना प्रदर्शन है। अब सवाल यह है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को नहीं पता कि धरना प्रदर्शन होने वाला है? क्या दिग्विजय ने कमलनाथ को इस धरने के बारे में पहले नहीं बताया? दूसरा सवाल ये खड़ा होता है कि कमलनाथ को डेढ़ महीने से पता नहीं कि दिग्विजय मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांग रहे थे या फिर सब पता था मगर इस तरफ कदम नहीं बढ़ाना चाहते थे। क्या दिग्गी और कमलनाथ के बीच इतने दिनों से कोई बातचीत ही नहीं हुई? तीसरा सवाल ये है कि दिग्विजय भूल रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष को धरना प्रदर्शन की जानकारी देना चाहिए या कमलनाथ को दिग्विजय कुछ समझते ही नहीं।

किसानों के सहारे सत्ता में वापिसी

जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ हैं तो बिना उन्हें खबर किये दिग्विजय अपनी मनमानी क्यों कर रहे हैं क्या इतनी संवादहीनता है दोनों में? क्या दिग्विजय जानबूझकर कमलनाथ को धरना प्रदर्शन के बारे में नहीं बताना चाहते थे क्योंकि कमलनाथ को वो कुछ समझते नहीं? क्या दिग्विजय को प्रदेश की राजनीति से कोई मतलब नहीं है या सिर्फ अपने परिवार के लिए अलग सीट के लिए किसानों का सहारा ले रहे हैं उन्हें मोहरा बना रहे हैं।

क्या आतकंवाद के दम पर सत्ता हथियाना चाहते हैं दिग्गी

एक पूर्व मुख्यमंत्री अपनी भाषा की मर्यादा भूल गए हैं या उनमें सड़कछाप गुंडों के गुण आ गए हैं जो बात-बात पर ये कर दूंगा वो कर दूंगा वाली भाषा का उपयोग कर रहे हैं। या ऐसी भाषा का उपयोग कर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बनना चाहते हैं? मुख्यमंत्री से समय नहीं मिला तो अपने समर्थकों से मुख्यमंत्री के काफिले पर हमला करवाया, क्या दिग्गी आतकंवाद के दम पर सत्ता हथियाना चाहते हैं और क्या दीजिवजय सत्ता चाहते हैं या उनसे कमलनाथ का बढ़ता रुतबा देखा नहीं जा रहा?

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