बागेश्वर और पंडोखर महाराज में टकराव के हालात, आखिर कौन है वो जिसने बागेश्वर धाम की गद्दी हथियाई

मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसा कोई नहीं होगा जो बागेश्वर धाम सरकार के नाम से प्रसिद्ध पंडित धीरेंद्र शास्त्री को ना जानता हो। जी हाँ ये वही नाम है जो पूरे देश-दुनिया में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। लेकिन कुछ दिनों से बागेश्वर धाम के सरकार पंडित धीरेन्द शास्त्री और पंडोखर धाम में टकराव की खबरों ने तूल पकड़ा हुआ है। आइये आपको क्रम से बताते हैं कि दोनों के बीच चल रहा विवाद क्या है।

दरअसल, छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम पर धीरेन्द्र शास्त्री का दरबार काफी चर्चित है। वे धाम पर आने वालों की समस्या को पहले से बता देते हैं। समस्या का समाधान भी बताते हैं । भूत प्रेत की बाधा भी दूर करते हैं। देश विदेश से लाखों भक्त प्रतिदिन उनके दरबार में पहुंचते हैं। बागेश्वर महाराज ने पिछले कुछ दिनों से बागेश्वर धाम के बाहर रामकथा भी शुरू कर दी है। दमोह, बीना और इंदौर में उनकी कथा में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे थे। वे एक जून को कथा करने और दरबार लगाने लंदन गये हुए हैं। वहीं, इधर उनके सगे ताऊ अपने बेटे पं. देवेन्द्र शास्त्री गर्ग के साथ दतिया जिले के पंडोखर धाम पहुंचे, जहां उन्होंने बागेश्वर धाम का असली उत्तराधिकारी अपने बेटे देवेन्द्र को बताते हुए पंडोखर महाराज से मदद की गुहार लगाई। पंडोखर महाराज ने भी सार्वजनिक रूप से पं. धीरेन्द्र शास्त्री को असत्य व छलिया बताते हुए देवेन्द्र शास्त्री को असली पीठाधीश्वर बताते हुए बागेश्वर धाम को वापस पाने काशी में कुछ तंत्र क्रियायें करने का सुझाव दिया है।

यहां बता दें कि धीरेन्द्र शास्त्री जिस तरह पर्चा बनाकर लोगों की समस्यायें बताते हैं, ठीक उसी तरह पंडोखर महाराज भी दरबार लगाकर लोगों के मन की बातें बताने और समस्या का समाधान बताते हैं।

मामला यहीं तक नहीं रहा आगे पंडोखर महाराज ने धीरेन्द्र शास्त्री के ताऊजी से कहा है कि आपका बेटा असली है इसलिए उसका दरबार शुरू कराओ, वह घूरे पर बैठकर भी दरबार लगायेगा तो भी सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि धीरेन्द्र शास्त्री ने काशी में मृत संत सेतुलाल महाराज की आत्मा को सिद्ध कर लिया है। तंत्र विद्या से यदि सेतुलाल महाराज की आत्मा को काशी में ही स्थान मिल जाए तो धीरेन्द्र शास्त्री की शक्ति समाप्त हो जाएगी। पंडोखर महाराज ने कहा काशी में तंत्र मंत्र के लिए वे मदद को तैयार हैं। इसके अलावा धीरेन्द्र शास्त्री के चचेरे भाई यदि दरबार शुरू करते हैं तो वे उनकी मदद को छतरपुर आने तैयार हैं।

अब इस घटना के बाद दतिया से छतरपुर तक इन दोनों संतों में टकराव की संभावना बढ़ गई है। दोनों संतों के समर्थक भी सक्रिय हो गये हैं। यह सही है कि फिलहाल धीरेन्द्र शास्त्री के समर्थक बड़ी संख्या में हैं। सोशल मीडिया पर बागेश्वर महाराज के भक्त पंडोखर महाराज को जमकर खरी खोटी सुना रहे हैं।

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