दुनिया को सुख और शांति का रास्ता दिखाता है जैन धर्म : पूर्व CM शिवराज

भोपाल- पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को विदिशा में भगवान श्री महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक महोत्सव में सहभागिता की। पूर्व सीएम ने भगवान महावीर स्वामी को नमन कर देश व प्रदेश की सुख, शांति और खुशहाली की कामना की। साथ ही श्रीजी की पालकी यात्रा में शामिल हुए। वहीं पूर्व सीएम ने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को स्मरण किया और आचार्य श्री आर्जव सागर जी को प्रणाम करते हुए कहा कि, जैन धर्म पूरी दुनिया को सुख और शांति का रास्ता दिखाता है।
दुनिया को शांति की ओर ले जा सकता है जैन धर्म
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, आज भगवान महावीर जी की जयंती है, आज का दिन अद्भुत है। आज दुनिया में जहां देखो वहां संघर्ष ही दिखाई दे रहा है। रूस और यूक्रेन लड़ रहा है, इजराइल-फिलिस्तीन लड़ रहा है, ईरान-इजराइल लड़ रहा है। कब विश्व युद्ध हो जाए इसका कोई ठिकाना नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में अगर दुनिया को कोई शांति की ओर ले जा सकता है तो वह जैन धर्म ही है।
जो अपने आप को जीते वही महावीर
पूर्व सीएम ने कहा कि, जो दूसरे को जीते हैं वह वीर जो अपने आप को जीते वह महावीर। जो महावीर वह जितेंद्रिय, जो जितेंद्रिय वह जिन और जो जिन वही जैन है। इसलिए हम सबको जैन बनने की कोशिश करना चाहिए। मैं भी जैन बनने की कोशिश कर रहा हूं। अपने आप को जीतने की कोशिश करनी पड़ेगी। दुनिया की सारी समस्याओं का समाधान अगर कहीं है तो अहिंसा परमो धर्म: है।
जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करें
पूर्व सीएम ने कहा कि, अगर व्यक्तिगत रूप से भी हम आनंद और शांति से रहना चाहते हैं तो वह पांच सिद्धांत हैं, जिसमें पूरे समाज की व्यवस्थाएं टिकी हुई है। झूठ बोलने वाला हमेशा डरा रहता है पता नहीं कब पोल खुल जाए। अहिंसा का मतलब केवल इतना ही नहीं है कि दूसरे को मत मारो बल्कि मन, वचन और कर्म से भी किसी को तकलीफ मत पहुंचाओ, वह सच्ची अहिंसा है। अगर कड़वे वचन बोलते हैं तो खुद को भी तकलीफ होती है और दूसरों को भी तकलीफ देते हैं। उन्होंने कहा कि, जब मैं छोटे-छोटे बच्चों के सिर पर हाथ रखता हूं और मामा- मामा का कर वह मेरे गले लगते हैं तो उस आनंद की आप कल्पना नहीं कर सकते, उससे बड़ा सुख और की नहीं है। अब बहन और भैया का प्रेम ऐसा अद्भुत है कि, जिंदगी धन्य हो जाती है। यह अहिंसा की ताकत है, जियो और जीने दो। आनंदित रहना चाहते हो तो अहिंसा परमो धर्म को अपनाओ। दूसरे की कोई चीज जिस पर आपका अधिकार नहीं है, वह अनुमति के बिना लेना पाप है। चोरी करने वाला भी कितना परेशान रहता है। चोरी भी केवल दूसरे का धन चुराना नहीं होता है, छल-कपट से धन कमाना भी एक तरह की चोरी ही है और इसलिए जो अपना है उसी में संतुष्ट रहने की कोशिश करो। जितनी जरूरत है वही तो अपना है। मुट्ठी बांधे इस दुनिया में आए हैं, खुले हाथ के साथ जाएंगे। अगर जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करें तो हमसे सुखी और आनंदित कोई हो नहीं सकता है।