‘नवोन्वेषी कृषि’ पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला से वर्चुअली जुड़े CM शिवराज, जानिए क्या कहा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज भोपाल में मंत्रालय से वर्चुअली ‘नवोन्वेषी कृषि’ पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला से जुड़े। इस दौरान उन्होने जैविक खेती के महत्त्व की बात कही। उन्होने कहा कि धरती माता को बचाना है, तो केमिकल फर्टिलाइजर से अपनी धरती को हमें बचाना होगा। प्राकृतिक खेती से हमारी धरती बचेगी और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी उज्ज्वल होगा।

प्राकृतिक कृषि के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना होगा- सीएम

सीएम ने कार्यशाला में कहा कि प्रधानमंत्री जी के विजन को जमीन पर साकार करने के लिए और धरती माता की रक्षा के विज़न को ध्यान में रखकर मध्यप्रदेश में प्राकृतिक कृषि बोर्ड हमने बना दिया है। सीएम ने आगे कहा कि धरती को आगे आने वाली पीढ़ियों के रहने के लायक रहने देना है कि नहीं? हमको सोचना ही पड़ेगा ये धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए रहने लायक बचे। इसलिए प्राकृतिक कृषि के प्रचार प्रसार को बढ़ावा देने के लिए सीधे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कृषि बोर्ड का गठन कर दिया है। सीएम ने आगे कहा कि चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में जो फैसले हम करेंगे, उसके लिए टास्क फोर्स का गठन किया है और जिले स्तर पर भी हमने जिला स्तरीय टास्क फोर्स बनाई है। ये जो कृषि के प्राकृतिक खेती के कामों को आगे बढ़ाने का काम करेगी, उसमें हमने जिला स्तरीय संरचना की रचना भी कर ली है।

अब नर्मदा के पास भी होगी प्राकृतिक खेती

सीएम ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि एक फैसला और मध्यप्रदेश में किया जैसे मध्यप्रदेश में गंगा जी, जमुनाजी है वैसे ही पवित्र नदी है नर्मदा जी! मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है मध्यप्रदेश को पीने का पानी, सिंचाई का पानी, बिजली देती है। लेकिन, अनेक कामों में से एक जिनमें कैमिकल फर्टिलाइजर और कीटनाशकों का उपयोग है उसके कारण वह प्रदूषित हो रही है, इसलिए, हमने तय किया है नर्मदा जी के दोनो तटों पर पूरी ताकत से प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने का काम करेंगे।

लोगों को उपदेश देने से पहले स्वयं अमल करें

सीएम ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती अभी भी मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में होती है। लेकिन हमने तय किया की अगर आप लोगों को उपदेश देते हैं तो पहले अमल स्वयं भी करो। तो मैंने अपनी स्वयं की खेती पर भी पांच एकड़ में प्राकृतिक खेती प्रारंभ की है। मैंने अपने मंत्री मित्रों से भी कहा पूरी पर नहीं, लेकिन थोड़ी थोड़ी जमीन पर हम प्राकृतिक खेती करने का काम प्रारंभ करें।

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