एक ही चेतना हम सबमें है, हम सभी ईश्वर का अंश हैं-शंकर प्रकटोत्सव कार्यक्रम में बोले CM शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में आचार्य शंकर प्रकट उत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ किया। वहां आयोजित विभिन्न कलाकारों की सांगीतिक प्रस्तुतियों का सुना। कार्यकम में सीएम शिवराज ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान व श्रद्धेय संतों परमात्मानंद सरस्वती का स्वागत किया। सीएम ने इस दौरान अपने भाषण में कहा कि जो सत्य को जान लेता है, वह कह उठता है कि सोहम अर्थात मैं वही हूं। सबमें मैं हूं, मुझमें सब हैं। द्वैत मिट जाता है और सबमें अद्वैत का भाव जागृत हो जाता है।

सीएम ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक ही चेतना हम सबमें है। सृष्टि के कण-कण में वही विराजमान हैं। मनुष्य ही नहीं, समस्त पक्षी, पेड़-पौधे, हिरन, समस्त जीवों में वही है। हम सभी ईश्वर का अंश हैं। हमने पेड़ पौधों में भी देखा है। बट के वृक्ष की पूजा, पीपल के पेड़ की पूजा, नारियल भेंट करना। आज ग्लोबल वार्मिंग क्लाइमेट चेंज, जलवायु परिवर्तन। अप्रैल के महीने में 45-47 डिग्री सेंटिग्रेड तापमान।ये क्यों हो रहा है क्योंकि तुमने उनको अपना नहीं माना उनका विनाश कर दिया। उन पेड़ों में भी तो वही है। इसलिए पेड़ों की पूजा, नदियों की पूजा, गंगा सिंधु, कावेरी, यमुना, सरस्वती, रेवा, महानदी, गोदा, ब्रह्मपुत्र ये पवित्र माताएं हमारी। दुनिया के किसी देश में तो सुनने को नहीं मिलता। हमने उनको माँ मानके पूजा है। नदियों, पर्वत, पहाड़ों में ग्रह नक्षत्र तारों में, सूरज में चन्द्रमा मैं एक वही तो है।उसी की सत्ता है। सूर्य देवता भ्यो नमः सूर्य अर्घ्य चढ़ाओ, सूरज से बिजली बनाओ।

सीएम ने दिलाया संकल्प

सीएम ने संकल्प दिलाते हुए कहा कि आप मेरे साथ अंतरात्मा से संकल्प दोहराएंगे, ताकि हम इसे पूरा कर सकें। “आदि गुरु शंकराचार्य जी की पवित्र स्मृति को साक्षी मानकर हम मन-वचन और कर्म से एक श्रेष्ठ नागरिक, आदर्श समाज, उन्नत राष्ट्र, और मंगलमय विश्व के निर्माण के लिए जीव जगत और ईश्वर के मूलभूत एकात्म भाव को आत्मसात करेंगे।”

सीएम ने समझाया एकात्म का मूल

एकात्म का मूल क्या है? एक ही चेतना, समस्त जड़ एवं चेतन में विद्यमान है। विस्तार से आज प्रकाश डालने की आवश्यकता नही है। लेकिन एक ही चेतना हम सब में है। स्वामी जी महाराज जी कह रहे थे, “सियाराम मय सब जग जानी, करहुं प्रणाम जोरि जुग पानी।
एक ही चेतना हम सबमें है। सृष्टि के कण-कण में वही विराजमान हैं। हर एक आत्मा, परमात्मा का अंश है। मनुष्य ही नहीं, समस्त पक्षी, पेड़-पौधे, हिरन, समस्त जीवों में वही समाया हुआ है। ईश्वर अंश जीव अविनाशी।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

Open chat
Hello 👋
For more details contact us