OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की संशोधन याचिका मंजूर

मध्यप्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद मध्यप्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। सरकार OBC वर्ग को आरक्षण देने के लिए 12 मई की देर रात सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका (एप्लिकेशन फॉर मॉडिफिकेशन) दाखिल कर चुकी है। जिसे स्वीकार कर लिया है। सरकार ने इसमें ट्रिपल टेस्ट की निकायवार तैयार रिपोर्ट पेश की है। इस आधार पर आरक्षण देने के लिए दावा किया है। यह भी बताया कि पंचायतों के लिए आरक्षण प्रक्रिया 15 दिन में कैसे पूरी होगी। इस पर सुनवाई 17 मई (मंगलवार) को होगी। गौरतलब है, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बगैर OBC आरक्षण के ही स्थानीय चुनाव कराने के आदेश दिए थे।
राज्य सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर पिछड़ा वर्ग आयोग ने OBC को 35% आरक्षण देने की सिफारिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कटाक्ष करते हुए कहा था- स्थानीय चुनाव में OBC वर्ग आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट निकायवार नहीं किया है। इस रिपोर्ट का अर्थ नहीं। बिना OBC आरक्षण ही चुनाव कराएं। अब सरकार संशोधन याचिका के माध्यम से ओबीसी वर्ग की निकायवार संख्या की नई रिपोर्ट शीर्ष अदालत में पेश कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 11 मई को दिल्ली में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ मीटिंग की थी। यहां तय किया गया कि संशोधन याचिका में तर्क दिया जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद 15 दिन में चुनाव कराना संभव प्रतीत नहीं होता, क्योंकि पंचायतों का आरक्षण नहीं हुआ है। सरकार की तरफ से वकील कोर्ट में यह भी कह सकते हैं कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने पर कानून व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है।

जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में महापौर का चुनाव डायरेक्ट नहीं होगा, बल्कि पार्षद चुनेंगे। प्रदेश के 16 नगर निगमों समेत नगर पालिकाओं व परिषदों में 6 हजार से ज्यादा पार्षद उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे। नगर निगमों में 3,813, नगर पालिकाओं में 1706 व नगर परिषदों में 882 परिषदों में पार्षद चुने जांएगे।

राज्य सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को नगरीय निकायों के वार्डों का आरक्षण किया था। जिसमें एससी-एसटी के अलावा ओबीसी के लिए सीटों का आरक्षण किया गया था। अब इन निकायों में चुनाव उसी आरक्षण के आधार पर होगा, लेकिन ओबीसी के लिए रिजर्व की गई सीटों को सामान्य घोषित कर दिया जाएगा। इसकी वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी वर्ग को आरक्षण के बिना ही चुनाव कराने का अंतरिम आदेश दिया है। अब संशोधन याचिका पर अंतिम फैसला होगा।

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