मप्र को हर साल मिलेंगे 12 नए चीते, साउथ अफ्रीका से हुआ एग्रीमेंट

मध्यप्रदेश के वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। हर साल मध्यप्रदेश को 12 चीते मिलेंगे। भारत सरकार और दक्षिण अफ्रीका की सरकार से इस संबंध में एग्रीमेंट हुआ है। प्रदेश के वनमंत्री कुंवर विजय शाह ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा- साउथ अफ्रीका से 12 चीतों की खेप हर साल मध्यप्रदेश आएगी। इन्हें गांधीसागर और नौरादेही अभयारण्य में छोड़ा जाएगा।
इससे पहले नामीबिया से 8 चीते कूनाे आए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें रिलीज किया था। वहीं, 18 फरवरी को भी दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते आए। इन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कूनो अभयारण्य में रिलीज किया। इन्हें क्वारंटाइन बाड़े में छोड़ा गया है। कूनो-पालपुर अभयारण्य में अब कुल 20 चीते हो गए हैं। प्रदेश में चीतों का ये कुनबा लगातार बढ़ता जाएगा। कूनाे के बाद दूसरे अभयारण्यों में भी सैलानी चीतों का दीदार कर सकेंगे।
वनमंत्री ने बताया कि नीमच-मंदसौर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे गांधी सागर अभयारण्य और सागर, दमोह, नरसिंहपुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे नौरादेही अभयारण्य में भी चीते नजर आएंगे। मंत्री विजय शाह ने बताया कि साउथ अफ्रीका की सरकार हर साल 12 चीते देने के लिए सहमत हुई है।
नामीबिया के विशेषज्ञों का कहना था कि जो चीते नामीबिया से लाए थे, उनमें से 25 प्रतिशत मध्यप्रदेश में सर्वाइव नहीं कर पाएंगे, लेकिन उन्होंने देखा कि यहां चीतों के रहन-सहन, खान-पान की व्यवस्थाएं और वातावरण चीतों के मुताबिक है। अभी सिर्फ एक मादा चीता थोड़ी बीमार है, वो भी ठीक हो रही है। अन्य चीते भी स्वस्थ हैं। पांच महीने वॉच करने के बाद साउथ अफ्रीका ने एमओयू किया है। वनमंत्री ने बताया कि अगले महीने दो सगे भाई चीतों को जंगल में छोड़ेंगे।
गांधीसागर अभयारण्य 181 वर्ग किमी मंदसौर व 187 वर्ग किमी नीमच जिले समेत कुल 368.62 वर्ग किमी में फैला है। इसकी सीमा रावतभाटा वन क्षेत्र और मुकंदरा नेशनल पार्क से लगती है। रावतभाटा की 30 किमी वन क्षेत्र की सीमा कम आबादी वाली है। चीतों के रहने के लिए बनाए जाने वाले बाड़े और पीने के पानी की व्यवस्था देखी गई। सबसे अच्छी बात है कि गांधीसागर वन्य क्षेत्र चंबल का बड़ा क्षेत्र है। यहां पानी की भी कमी नहीं है।