जैन साहित्य में भरा है विश्व शांति का व्यापक संदेश; यह भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण पक्ष है- प्रो. वीरसागर

भोपाल : एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’में ‘भारतीय भक्ति साहित्य’ पर आयोजित हुआ सत्र, जैन भक्ति साहित्य पर हुई विशेष चर्चा
राजधानी भोपाल में चल रहे एशिया के सबसे बड़े अंतराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष और उत्कर्ष’ के दूसरे दिन शुक्रवार को भारत का भक्ति साहित्य विषय पर देशभर से आए विद्वानों ने अपने विचार रखे। रविन्द्र भवन में आयोजित इस सत्र की अध्यक्षता केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने की। इस विशेष सत्र में भारतीय भक्ति साहित्य में जैन भक्ति साहित्य विषय पर प्रकाश डालते हुए दिल्ली से आए प्रोफेसर वीरसागर जैन ने अपना वक्तव्य दिया। सत्र के अंत में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सभी विद्वानों के वकत्वय पर अपने विचार भी रखे।

जैन साहित्य में विश्व कल्याण के गहरे सूत्र निहित : प्रोफेसर वीरसागर

भारतीय भक्ति साहित्य में जैन भक्ति साहित्य विषय पर अपने विचार रखते हुए प्रोफेसर वीर सागर ने कहा कि जैन साहित्य भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। जैन भक्ति परिमाण और गुणवत्ता की दृष्टि से बहुत विशाल है। जैन कवि भूधरदास और दौलतराम ने 10 हजार से अधिक पद भक्ति के संबंध में लिखे हैं। जैन भक्ति साहित्य में विश्व कल्याण के गहरे सूत्र निहित हैं। आत्मशांति के साथ-साथ पर्यावरण चेतना, राष्ट्रीय चेतना, सामाजिक चेतना को जागृत करते हुए विश्वशांति का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि जैन साहित्य में भक्ति योग और ज्ञान योग दूध और पानी की तरह मिले हुए हैं।

सनातन समावेशी परंपरा है : राज्यपाल केरल

सत्र में अध्यक्षीय संबोधन देते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने वकत्व्य की शुरुआत जैन साहित्य को केन्द्र में रखकर की। उन्होंने कहा कि जैन साहित्य अनेक संकीर्णताओं से ऊपर उठकर प्राणीमात्र का संदेश देता है। जैन साहित्य पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में भक्त कवियों ने हमारे प्राचीन ज्ञान को आम लोगों तक उनकी भाषा में पहुंचाया। हमारी सनातन परंपरा इतनी समावेशी है कि चाहकर भी किसी को उससे अलग नहीं किया जा सकता।

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