आखिर जैन समाज इतनी आक्रोश में क्यों है! सड़को पर उतरने को मजबूर क्यों हुई जैन समाज, जानिए पूरा मामला

अल्पसंख्यक वर्ग से आने वाली जैन समाज आज गुस्से में है अपना अहिंसक रूप छोड़कर सड़कों पर उतरकर विरोध कर रही है, मशाल लेकर सड़को पर उतर रही है। पूरे देश औऱ विदेश की जैन समाज अपने स्तर पर विरोध कर रही है। इसके पीछे का सच क्या है क्या वजह है जो आज पूरी की पूरी जैन समाज आक्रोशित है। दिल्ली, भोपाल, मुम्बई आदि जगहों पर जैन समाज सड़कों पर भी उतरा और जमकर भारत सरकार का विरोध किया लेकिन सरकार की तरफ से कोई प्रमाणिक जवाब नहीं आया।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, झारखंड में बसा जैनों की आस्था का केंद्र पारसनाथ जिसे सम्मेद शिखर जी कहा जाता है जहां से जैनों के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकर मोक्ष गए हैं उस तीर्थ क्षेत्र को भारत सरकार ने पर्यटन स्थल बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया है जिसके बाद से जैन समाज आक्रोश में हैं। पर्यटन स्थल बनने के बाद वहां मांस मदिरा सब का सेवन किया जाएगा। सब धर्म के साधु- संत सम्मेद शिखरजी के समर्थन में आए। हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, जैन दिगंबर मुनि, स्थानकवासी संत सभी एक ही मंच पर आकर एक ही बात कहते हैं, सम्मेद शिखरजी जैन पवित्र स्थल है, पर्यटन स्थल नहीं। देशभर में हो रहे विरोध के बाद राजनैतिक पार्टियां भी जैन समाज के सपोर्ट में आयी है। यूपी में समाजवादी पार्टी के लोग शिखर जी के के समर्थन में बड़े-बड़े बैनर लगा रहे हैं मध्यप्रदेश में विपक्ष में बैठी कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैन समाज के समर्थन में आए हैं।
मनोज तिवारी ने दिया आश्वासन
शिखरजी के लिए विश्व संगठन के अध्यक्ष संजय जैन और उनके साथ कई लोग आमरण अनशन पर दिल्ली में बैठे थे जिसके बाद बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने धरनास्थल आकर कहा कि सरकार ने 15 दिन का समय मांगा है, इसके बाद अनशन 15 दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। इस पूरे मामले को राजनीतिक रुप तब मिला जब सांसद गौतम गंभीर अनशन पर बैठे लोगों से मिलने पहुंचे थे और इससे पहले किसानों के नेता राकेश टिकैत भी धरना स्थल पर पहुंचे थे। जैन समाज के लोगों का कहना है कि अगर सरकार ने शिखरजी को पवित्र स्थल घोषित नहीं किया तो वे अहिंसक रूप से प्रदर्शन करते रहेंगे और शिखर जी वापिस लेकर रहेंगे।