लव जिहाद के खिलाफ मप्र में बनेगा नया सख्त कानून- मुख्यमंत्री शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि

आज इंदौर की धरती पर एक नारा लगा है : धरती अम्बर कह रहे, टंट्या मामा अमर रहें।

मेरे आदिवासी बहनों-भाइयो, भांजे-भांजियों, मामा का आप सबको प्रणाम, मामा की आप सबको राम राम।

बारे मर्दों में मरद झंझार टंट्या,
कांधे टांगे दाव तीखो धारदार टंट्या, भाई-बहन की लाज रखवार टंट्या।
सुनै बैना की पुकार, इस पार और उस पार, पलका मूंदा दौड़ा आवै बार बार टंट्या।
थाना चौकी फूंड डारे, जुल्मी सिपड़ा का मारे, कहीं जूता कहीं हंटर की मार टंट्या।
सूदखोरों का डरावै, खाता खूतड़ा जलावै, नंगा-भूखा को दे रोटी का आधार टंट्या।

आज मैं टंट्या मामा के चरणों में अपने और मध्यप्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता की ओर से दोनों हाथ जोड़कर, शीश झुकाकर प्रणाम करता हूं।

अद्भुत क्रांतिकारी, जिन्होंने भारत माता के पैरों से परतंत्रता की बेड़ियाँ काटने के लिए अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया।

कई बार मन में तकलीफ होती है कि आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं लेकिन पुरानी सरकारों ने कभी टंट्या मामा, भीमा नायक, रघुनाथ शाह-शंकर शाह, रानी कमलापति और हमारे बिरसा भगवान जैसे नायकों की प्रतिमाएं कभी बड़े शहरों में नहीं लगवाईं। सिर्फ एक खानदान की प्रतिमाएं ही लगती रहीं।

लेकिन आज मुझे गर्व है कि इंदौर की धरती पर टंट्या मामा की भव्य प्रतिमा का लोकार्पण, हमारे गवर्नर साहब ने किया है और चौराहा भी टंट्या मामा चौराहा होगा। हम टंट्या मामा के बलिदान को कभी भुला नहीं सकते।

लेकिन सिर्फ प्रतिमा लगाने से कुछ नहीं होगा। आज का ये कार्यक्रम सिर्फ कार्यक्रम नहीं, सामाजिक व आर्थिक क्रांति का शंखनाद है।

ये कार्यक्रम गरीब जनता की जिंदगी में बदलाव का कार्यक्रम है। मेरे भाषण को सिर्फ भाषण मत मानिये। मैं केवल बोलने के लिए नहीं कह रहा हूं, मेरे अंदर एक तड़प है, एक ललक है, एक जुनून है।

टंट्या मामा के रास्ते पर चलकर हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने आदिवासी भाई बहनों के कल्याण का जो संकल्प लिया है, उस संकल्प को पूरा करने का मेरे अंदर जुनून है।

आजकल हर जगह पेसा की बात हो रही है। मैं जहाँ जाता हूं, वहाँ पर पेसा के बारे में पढ़ाता हूं।

मैं हूं मास्टर ट्रेनर, आज आपको ट्रेन्ड करने आया हूं। और ट्रेन्ड इसलिये कर रहा हूं क्योंकि अगर पता ही नहीं चलेगा तो पेसा का उपयोग कैसे करोगे। आज मैं आपको ट्रेन्ड करूंगा, और मेरे बेटे-बेटियों, तुम नीचे जाकर बाकियों को ट्रेन्ड करना।

पेसा कर्मकाण्ड नहीं, आपकी जिंदगी बदलने का महाअभियान है और इसमें मै आप सबका साथ चाहता हूं। आप सबका साथ मिलेगा तो मिलकर काम करेंगे औऱ जमाने को बदल देंगे।

पेसा में कई अधिकार दिये गए हैं लेकिन पहले मैं अपने नेतृत्व के साथियों को बता देना चाहता हूं कि पेसा किसी के खिलाफ नहीं है। कांग्रेसियों से कुछ नहीं बनता तो दूसरों को भड़का रहे हैं कि तुम्हारे खिलाफ है।

पेसा 89 ब्लॉकों में लागू होगा। यह सिर्फ गाँवों में लागू होगा, शहरों में नहीं।

गाँवों में भी अगर दूसरी जातियों के भाई बहन रहते हैं तो पेसा की ग्राम सभा में वो भी शामिल होंगे।

मैं आप सबसे ईमानदारी से पूछना चाहता हूं कि भगवान ने ये धरती बनाई तो सबके लिए बनाई है। ये जल-जंगल-जमीन सबकी है। खदानें, पत्थर, रेत, गिट्टी क्या कुछ लोगों का ही ठेका हैं ? ये भगवान ने सबके लिए बनाई है तो इन पर सबको हक होना चाहिये।

पेसा आपको सबसे पहले देता है जमीन का अधिकार। ताकि ये अपनी धरती का टुकड़ा अपने पास रहे, अपना अधिकार रहे।

जमीन के अधिकार में पहली चीज है कि हर साल पटवारी और बीट गार्ड, आपकी जमीन का नक्शा, खसरे की नकल और बी-1 की कॉपी पेसा की ग्रामसभा में रखेंगे। ताकि किसी की जमीन किसी और के नाम न हो और किसी भी गड़बड़ी का पता चल सके।

जनता तहसील नहीं जाएगी, बल्कि पटवारी और बीटगार्ड ग्रामसभा में ये जानकारी रखेंगे ताकि कोई गड़बड़ी करे तो तत्काल पता चल जाए।

अगर अपनी जमीन सुरक्षित रखनी है तो जमीन का नक्शा हर साल हमारे पास आना चाहिये।

कई छलिया बैठे हैं, जो जमीन की गड़बड़ कर रहे हैं। कई दूसरे धर्म वाले अगर आदिवासी की जमीन नहीं खरीद पाते हैं तो आदिवासी की बेटी से शादी कर के जमीन उसके नाम पर ले लेते हैं, ये पाप है।

ये लव नहीं, लव के नाम पर जिहाद है और मैं किसी भी कीमत पर मध्यप्रदेश की धरती पर लवजिहाद का खेल चलने नहीं दूंगा।

ये हमारा समाज है, हमारे लोग हैं, कोई भी हमारे बच्चों को नहीं छल सकता है, शादी कर ले और 35 टुकड़े कर दे, क्या हम ये सहन करेंगे। हम ये सहन नहीं करेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो लवजिहाद के खिलाफ कड़ा कानून बनाया जाएगा।

कई बार तो सरपंच का चुनाव लड़ने के लिए आदिवासी से शादी कर लेते हैं। अगर ऐसा हुआ तो हम ऐसे कानून पर भी विचार करेंगे कि ऐसे लोगों की जमीन का अधिकार ही खत्म हो जाए।

पेसा हमें ये अधिकार देता है कि अगर किसी ने छलकपट से जमीन हथिया ली तो ग्राम सभा उस पर हस्तक्षेप करेगी और उसकी जमीन उसे वापस दिला सकेगी।

रेत, गिट्टी, पत्थर और खनिज के सर्वे का काम भी ग्रामसभा की अनुमति के बाद सरकार कर पाएगी।

गाँव की सीमा में आने वाली रेत की खदान, पत्थर, गिट्टी का फायदा हमें मिलना चाहिये। इन पर पहला हक आदिवासी सहकारी समिति को होगा। इसके बाद इस पर दूसरा अधिकार महिलाओं का होगा और फिर पुरुषों का अधिकार होगा।

दूसरा अधिकार है जल का अधिकार।

अब अगर हमारे गाँव में 100 एकड़ सिंचाई वाला तालाब है तो उस पर भी ग्रामसभा का अधिकार होगा। तालाब के रखरखाव के अलावा मछली पालन या सिंघाड़ा उत्पादन का निर्णय भी ग्रामसभा करेगी।

जंगल में दो तरह की चीजें होती हैं, एक होती है

वनोपज को अभी तक संघ खरीदता था, अब ये सारी वनोपज इकट्ठा करने का अधिकार आपको है। इसके अलावा इसके रेट भी तय करने का अधिकार ग्रामसभा का होगा। रेट व्यवहारिक रखेंगे, लेकिन घाटे में नहीं बेचेंगे।

अभी तेंदु का पत्ता वनोपज संघ खरीदता है। अब तेंदुपत्ता तोड़ने और बेचने का अधिकार भी ग्रामसभा को दिया जा रहा है।

सरकार भोपाल से नहीं, चौपाल से चलेगी।

मीना सिंह जी, प्रेम सिंह जी, नजर रखना है कि तेंदु का पत्ता टूटेगा और तेंदु का पत्ता यही बेचेंगे और मामा, भोपाल नहीं ले जाएगा, उसका मुनाफा गाँव में ही बंटेगा।

लेकिन उसके लिए जरूरी है कि 15 दिसम्बर तक ग्राम सभा को प्रस्ताव पारित करना होगा कि हम तेंदुपत्ता तोड़ेंगे और बेचेंगे, क्योंकि सरकार को व्यवस्था करनी है। अगर आप नहीं तोड़ेंगे, तब सरकार तुड़वाएगी।

मैं चाहता हूं कि ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित हो जाए। ताकि ग्रामसभा तेंदुपत्ता तोड़े, बेचे और मुनाफा गाँव में ही बंट जाए।

कमिश्नर, कलेक्टर, सबको मैं निर्देश दे चुका हूं कि जहाँ जहाँ ये प्रस्ताव पारित हो जाएंगे वहीं आगामी अप्रैल और मई से इस फैसले को लागू कर दिया जाएगा।

अब मनरेगा में होने वाले कामों को भी ग्राम सभा तय करेगी, सरकार और पंचायत सचिव तय नहीं करेंगे।

कई बार मस्टर रोल बनाने में गड़बड़ हो जाती है, काम 50 लोग करते हैं और 100 लोगों के नाम लिख लिये जाते हैं, अब ऐसा नहीं होगा, पूरा मस्टर रोल ग्रामसभा में रखना होगा, ताकि हमारा पैसा कहीं फालतू न चला जाए।

अगर किसी एजेंट या ठेकेदार को किसी मजदूर को काम कराने के लिए बाहर ले कर जाना है तो पहले ग्रामसभा को जानकारी देनी होगी। थाने में उनके बारे में जानकारी देनी होगी ताकि अगर बाहर कहीं कोई बेटा बेटी मुसीबत में पड़ जाए तो उसकी मदद हो सके।

कई बार बंधुआ मजदूरी करवाते हैं, अत्याचार करते हैं, ये अब नहीं होगा। अगर बिना बताए कोई किसी को मजदूरी के लिए बाहर ले गया तो मामा उसको जेल भिजवाएगा, छोड़ेगा नहीं।

अगर कोई बाहर से गाँव में आ रहा है तो उसको भी ग्रामसभा में जानकारी देनी पड़ेगी ताकि उस पर भी हम लोग नजर रख सकें। जो इसका उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

अगर गाँव में कोई नई शराब या भाँग की दुकान खुलनी है तो सरकार से पहले ग्रामसभा से पूछना होगा। इसके अलावा अवैध शराब बेचने पर कार्रवाई करने का अधिकार भी ग्राम सभा के पास होगा।

*कल मैं डिंडौरी, मंडला गया था, मैंने देखा कि एक छात्रावास में बहुत गंदगी थी। कपड़े गंदे थे, पूरे नहीं थे तो मैंने अधीक्षक को सस्पेंड कर दिया। एक जगह अच्छा मिला तो मैंने अधीक्षक को पुरस्कार दिया।

डिंडौरी में मैंने देखा कि बांध तो बन गया लेकिन नहरें टूटी फूटी हैं, पानी ठीक से जा ही नहीं रहा था। तो मैंने एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, एसडीओ, जेई सबको सस्पेंड कर दिया।

लेकिन गाँव का छात्रावास, आश्रमशाला, स्कूल, आंगनवाड़ी जैसी हर जगह पर मामा नहीं देख सकता तो किसे देखना चाहिये। इसके लिए पेसा में अधिकार है कि आप छात्रावास, आश्रमशाला, स्कूल की व्यवस्था को चेक कर सकते हैं।

*मास्टर इसलिये हैं कि ढंग से पढ़ाएँ, कांग्रेस के जमाने में मास्टरों को तनख्वाह मिलती थी 500 और 1200 रुपये, मामा ने बढ़ाकर 40 से 50 हजार रुपए कर दी है, तो मास्टर ठीक से पढ़ाए ये जवाबदारी भी आपकी ही है। *

गाँव के छोटे मोटे विवाद थाने में नहीं जाने चाहिए। बड़े मामलों की बात अलग है, लेकिन छोटे मोटे मामलों के लिए गाँव में ही समिति बनेगी, आप को ही ये समिति बनानी है।

शांति समिति, विवाद निवारण समिति में पाँच पंच बैठकर आपस में झगड़ा सुलझाएंगे ताकि आपको थाने तक नहीं जाना पड़े।

पेसा की समितियों में एक तिहाई सदस्य हमारी बहनें होंगी।

ये पेसा के प्रमुख प्रावधान हैं जो मैंने आपको बताये हैं, इन्हें ढंग से समझ लेना।

आप बताइये कि हमने पेसा लागू करके अच्छा किया या बुरा।

*वर्षों से कई चीजें ऐसी चल रही थीं, जिन्होंने हमारा शोषण किया है। कांग्रेस ने अंग्रेजों के जमाने की अंग्रेजी में पढ़ाई जारी रखी। लेकिन मध्यप्रदेश में ये तय हो गया है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी अब अंग्रेजी में होगी। ताकि हमारे बच्चे भी पढ़ सकें, डॉक्टर और इंजीनियर बन सकें। *

मैं एक वचन आपको दे रहा हूं कि जो बेटा बेटी मेडिकल इंजीनियरिंग कॉलेज में जाएँगे, आईआईटी-आईआईएम में जाएँगे, तुम्हारी फीस तुम्हारे मम्मी पापा नहीं भरवाएंगे, तुम्हारा मामा भरवाएगा। पढ़ते रहो, बढ़ते रहो, चिंता की कोई जरूरत नहीं है।

अभी भर्ती के लिए एक लाख नौकरियाँ निकाली गई हैं, बैकलॉग के पद भी भरे जाएंगे।

हम अच्छे कर्मचारियों को पुरस्कृत कर रहे हैं, गड़बड़ करने वालों को सस्पेंड भी कर रहे हैं।

अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अद्भुत नेता हैं हिन्दुस्तान के, आज दुनिया के नेता बन गए हैं। उन्होंने कहा है कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा। आज आप सबके सामने मेरा संकल्प है कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा। जगह जगह छापे पड़ेंगे, गड़बड़ मिली तो कार्रवाईयाँ होंगी।

बेईमान सावधान हो जाएँ, दो साल कमलनाथ आए उन्होंने भ्रष्टाचार चारों और फैला दिया, दो साल हमारे कोविड में निकल गए। अब मैं जगह जगह निकल रहा हूं, जहाँ गड़बड़ होगी, वहाँ कार्रवाई होगी।

दलालों से भी सावधान रहना, कई दलाल आ जाते हैं, इसकी सरकार आई तो इसमें, उसकी सरकार आई तो उसमें।

हम आने वाले पाँच साल के लिए योजना बना रहे हैं कि मध्यप्रदेश में पलायन को जीरो करेंगे। मध्यप्रदेश छोड़कर बाहर काम करने की नौबत न आए, इसकी हम कोशिश करेंगे। बेहतर रोजगार के लिए जाएँ लेकिन मजबूरी में न जाएं।

गाँवों में हमारे कई देवता, खैरमाई, गाता, बड़ा देव अलग अलग स्थान हैं, इनका जीर्णोद्धार भी आपके साथ मिलकर सरकार करवाएगी।

कई बार घर में शादी के लिए टेंट वालों से सामान-बर्तन लेने पड़ते हैं, अब हर ग्राम पंचायत में गंजा, कोपर परात, सब्जी भाजी बनाने की चीजें जैसे सामान दिये जाएंगे ताकि बाहर न जाना पड़े।

हमने कानून बना दिया है कि ज्यादा ब्याज पर कोई पैसा देगा तो उसका कर्जा माफ कर दिया जाएगा। अब एक माइक्रोफाइनेंसिंग की योजना बना रहे हैं ताकि अगर जरूरत पड़े तो गरीब को 5 हजार तक की मदद ग्राम पंचायत से ही हो सके। ये योजना भी अगले बजट में लेकर आ रहे हैं।

आज का दिन सामाजिक और आर्थिक क्रांति का दिन है, अपनी जिंदगी बदलने का संकल्प हमें लेना है।

हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन बहलाने वाले, फुसलाने वाले कई आएँगे, उनसे हमें सावधान रहना पड़ेगा।

इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए मुझे आपका साथ चाहिये।

मेरे बेटा-बेटियों तुम में से कई पेसा कॉर्डिनेटर बन जाएं, जो गाँव गाँव जाएँ, समझाएं, पेसा को बताएँ, लागू कराएं।

तो संकल्प लीजिये कि हमारे कल्याण के लिए जो योजनाएं बनी हैं, उनमें सरकार के साथ, मामा के साथ चलेंगे, अपनी और अपने बच्चों की तकदीर और तस्वीर बदल कर रख देंगे।

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