“सेंटर फॉर एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन एवं एंटरप्रेन्योरशिप” के नव-निर्मित भवन का किया लोकार्पण – मंत्री तोमर

ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र के किसानों एवं कृषि आधारित स्टार्टअप शुरू करने के इच्छुक युवाओं को बड़ी सौगात मिली है। नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) के सहयोग से 7 करोड़ रूपए से अधिक लागत से ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े कृषि महाविद्यालय परिसर में “सेंटर फॉर एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन एवं एंटरप्रेन्योरशिप” के लिए भवन का निर्माण किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य अगले चार वर्षों में 100 से अधिक स्टार्टअप खड़े करना हैं।

युवा नौकरी मांगने के बजाय नौकरी देने वाले बनें

केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने रविवार को ग्वालियर में “सेंटर फॉर एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन एवं एंटरप्रेन्योरशिप” के नव-निर्मित भवन का लोकार्पण किया। तोमर ने कहा कि सेंटर की मदद से ग्वालियर-चंबल अंचल के नौजवान कृषि आधारित स्टार्टअप शुरू कर भारत का सुनहरा भविष्य गढ़ेंगे। नए-नए स्टार्टअप खड़े होने से आत्म-निर्भर भारत की नींव और मजबूत होगी। भारत सरकार का यह प्रयास है कि युवा नौकरी मांगने के बजाय एग्री बिजनिस से जुड़कर दूसरों को नौकरी देने वाले बनें। इसी उद्देश्य से इस प्रकार के सेंटर खोले जा रहे हैं।

मुख्य उद्देश्य अगले चार वर्षों में 100 से अधिक स्टार्टअप खड़े करना

नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) के सहयोग से 7 करोड़ रूपए से अधिक लागत से ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े कृषि महाविद्यालय परिसर में “सेंटर फॉर एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन एवं एंटरप्रेन्योरशिप” के लिए भवन का निर्माण किया गया है। आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से सुसज्जित इस सेंटर को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य अगले चार वर्षों में 100 से अधिक स्टार्टअप खड़े करना है। साथ ही कृषि एवं उससे जुड़ी विभिन्न प्रकार की 240 आर्थिक गतिविधियों के लिए क्षेत्रीय किसानों एवं युवा उद्यमियों को प्रशिक्षण तथा आर्थिक एवं तकनीकी मदद मिलेगी। इस सेंटर के माध्यम से फसल उत्पादन, फसल सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित 130 प्रकार की तकनीक भी विकसित कर लोगों को जागरूक करने का काम होगा।

कृषक साधनों पर डेढ़ लाख करोड़ रूपए की राशि की व्यवस्था

तोमर ने जानकारी दी कि इस साल समर्थन मूल्य पर सरकार ने पिछले साल के मुकाबले दोगुनी खरीदी की है। गेहूँ और धान के साथ सरकार दलहन, तिलहन एवं अन्य मोटे अनाज भी समर्थन मूल्य पर खरीद रही है। तोमर ने आह्वान किया कि किसान पारंपरिक खेती के साथ सब्जी और फूलों की खेती भी करें, जिससे उनकी आय दोगुनी हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि अधो-संरचना के लिए एक लाख करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। देश की आजादी के बाद पहली बार गाँवों के समीप खेती से संबंधित साधन उपलब्ध कराने के लिये डेढ़ लाख करोड़ रूपए की राशि की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है।

नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. जी.आर. चिंतला ने कहा कि नई पीढ़ी कृषि क्षेत्र से बाहर न जाकर नई तकनीक और ऊर्जा के साथ कृषि क्षेत्र को लाभकारी बनाए, इसके लिए नाबार्ड द्वारा कारगर कदम उठाए गए हैं। कृषि उद्यम से जुड़ने के इच्छुक युवाओं और किसानों की समस्याओं के समाधान में नाबार्ड-एबिक अहम रोल अदा कर रहा है। देश में नाबार्ड द्वारा आधा दर्जन एबिक की स्थापना की जा चुकी है। इसी कड़ी में ग्वालियर में यह सातवाँ सेंटर स्थापित किया गया है। सेंटर के जरिए खेती एवं किसानों के स्टार्टअप, तकनीकी विकास, नेटवर्किंग, वित्तीय सहायता, व्यवसाय शुरू करने के लिये मार्गदर्शन, प्रशिक्षण, शोध और कानूनी पहलुओं के विषय में मदद मुहैया कराई जायेगी।

प्रदेश के कृषि विकास एवं किसान-कल्याण मंत्री श्री कमल पटेल कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए। श्री पटेल ने कहा कि इस सेंटर के रूप में नाबार्ड और भारत सरकार के सहयोग से प्रदेश के किसानों को एक बड़ा उपहार मिला है। उन्होंने कहा कि सेंटर से प्रदेश में प्र-संस्करण और एग्रीटेक से जुड़े स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा। श्री पटेल ने कहा प्रदेश सरकार की स्पष्ट नीति और मिशन है कि कृषि विविधीकरण के साथ प्र-संस्करण को भी बढ़ावा मिले।

उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि किसानों को अपनी आय दोगुनी करने के लिये खाद्य प्र-संस्करण से भी जुड़ना होगा। इस दिशा में ग्वालियर का यह सेंटर मील का पत्थर साबित होगा। मध्यप्रदेश में खाद्य प्र-संस्करण की अपार संभावनाएँ हैं।

राज्य स्तरीय प्रदर्शनी एवं ईको फेस्ट का भी किया शुभारंभ

केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर सहित अन्य अतिथियों ने राज्य स्तरीय प्रदर्शनी “उमंग-2022” और ईको फेस्ट का भी शुभारंभ किया। कृषि व्यवसाय केन्द्र द्वारा इको फैक्टरी फाउंडेशन के साथ कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये एमओयू भी किया गया। केन्द्रीय कृषि मंत्री तोमर ने नाबार्ड द्वारा किसानों एवं स्व-सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री और बाजार मुहैया कराने के लिये तैयार किए गए चलित रूरल मार्ट वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।

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