फिर शुरू हो रही है श्रद्धा और भक्ति से जुड़ी अनूठी तीर्थ-दर्शन यात्रा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने निरंतर जनसरोकार और जनसंवेदनाओं से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता दी है। चहुंमुखी विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर मध्यप्रदेश में विभिन्न विकासलक्षी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन करते हुए अंतिम व्यक्ति तक उनका लाभ पहुंचाने के लक्ष्य के साथ राज्य सरकार कार्य कर रही है। सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि आज मध्यप्रदेश कई जनकल्याणकारी योजनाओं के अमल में अव्वल है तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं ऐसी हैं जिनका अनुसरण अन्य दूसरे राज्य भी कर रहे हैं।

एक संवेदनशील सरकार का दायित्व है कि वह “बहुजन हिताय बहुजन सुखाय” के सिद्धांत पर कार्य करे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अगुवाई में मध्यप्रदेश सरकार ने हमेशा ही संवेदनशीलता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। मानवीय संवेदनाओं के पिटारे में धर्म और आस्था का भाव सदैव हिलोरें मारता है। धार्मिक भावनाओं के संरक्षण और सम्मान का सर्वोत्म उदाहरण हैं मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना। भारतीय संस्कृति में धर्म तीर्थों की यात्रा की परंपरा पुरातन है। तीर्थ का मतलब है वह स्थान जहां से तिरा जा सके अर्थात पाप से पार उतारने वाला पुण्य स्थान। जो स्थान पवित्र हो और वहां जाने वाले को भी पवित्र कर सके वह तीर्थ है फिर चाहे वह किसी भी धर्म का पवित्र स्थान हो। सभी नागरिक विशेषत: बुजुर्गों के मन में जीवन में कम से कम एक बार तीर्थ स्थानों पर जाने पवित्र भावना होती है। जब प्रदेश के बुजुर्गों ने अपने लाड़ले मुख्यमंत्री के सामने तीर्थ-दर्शन की चाह रखी तो मुख्यमंत्री ने जनभावनाओं को मूर्तरूप देने के लिए विचार-विमर्श किया, फलस्वरूप उस मंथन से अमृत के रूप में निकली मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना।

मध्यप्रदेश में अगस्त 2012 में शुरू हुई मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना अपने तरह की पहली और अनूठी तीर्थ दर्शन योजना है जिसमें प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों को तीर्थ स्थलों की यात्रा सरकार नि:शुल्क कराती है। तीर्थ यात्रा करने वाले यात्रियों को सरकार विभिन्न सुविधाएं जैसे रुकने की व्यवस्था, खाने-पीने की व्यवस्था और स्टेशन आने-जाने की सुविधा देती है। इस योजना के तहत पहली ट्रेन 3 सितम्बर, 2012 को भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन ( वर्तमान नाम कमलापति रेलवे स्टेशन) से शुरू हुई थी कि रामेश्वरम के लिए रवाना की गई थी। योजना में अब तक कुल 743 ट्रेनों का संचालन हुआ जिसमें 2012 से 2020 तक 7 लाख 43 हजार से अधिक यात्रियों ने विभिन्न तीर्थों के दर्शन किया। यह यात्रा कोरोना संक्रमण के कारण जनवरी 2020 में बंद हुई थी। राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय तीर्थ दर्शन योजना अब पुन: शुरु हो रही है।

19 अप्रैल से पुन: प्रारंभ हो रही है तीर्थ-दर्शन योजना –

प्रदेश के बुजुर्गों की बड़े तीर्थ-स्थान की यात्रा के स्वपन को साकार करने के लिए लोकप्रिय मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना की पुन: शुरुआत हो रही है। पूरी तैयारियों के साथ योजना में पहली ट्रेन 19 अप्रैल 2022 को भोपाल के कमलापति रेलवे स्टेशन से रवाना की जायेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीर्थ-यात्रियों से भेंट करेंगे और ट्रेन को वाराणसी के लिए रवाना करेंगे। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 19 अप्रैल को तीर्थ दर्शन की ट्रेन दोपहर को रवाना होकर 20 अप्रैल की सुबह वाराणसी पहुँचेगी और 20 एवं 21 अप्रैल को तीर्थ-यात्री भगवान विश्वनाथ के दर्शन कर गंगा आरती में भी शामिल होंगे। तीर्थ-यात्री 22 अप्रैल को गृह प्रदेश लौटेंगे। तीर्थ-यात्रियों को लौटते समय भगवान विश्वनाथ का स्मृति-चिन्ह भेंट किया जायेगा।

तीर्थ यात्रियों के लिए खास सुविधाएं –

पुन: प्रारंभ हो रही तीर्थ-दर्शन योजना में यात्रियों के लिए सरकार ने विशेष सुविधाओं की व्यवस्था की है। यात्रा के दौरान चाय-नाश्ते, भोजन, गंतव्य तीर्थ-स्थल पर रहने-खाने की समुचित व्यवस्था से लेकर यात्रियों के लिए ट्रेन में भजन मंडली भी रहेगी। भजन मंडली के सदस्य यात्रा के दौरान समयानुकूल भजन गाते रहेंगे। वाराणसी स्टेशन पर तीर्थ-यात्रियों का स्वागत ढोल-नगाड़ों से किया जाएगा। साथ ही तीर्थ-यात्रियों को तुलसी की माला पहनाई जाएगी। तीर्थ-यात्रा पर जा रहे यात्रियों के लिए रानी कमलापति स्टेशन पर स्वल्पाहार की व्यवस्‍था रहेगी। यात्रियों की देखभाल एवं सुविधा के लिए सरकार ने 1 डॉक्टर और सहायक (दवाइयों सहित) की व्यवस्था भी की गई है।

प्रथम ट्रेन में विभिन्न जिलों के 974 यात्री होंगे रवाना
मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में भोपाल संभाग के चार जिले और सागर संभाग के तीन जिलों के 974 यात्री जायेंगे। भोपाल संभाग के भोपाल, सीहोर, विदिशा, रायसेन से 770 यात्री और सागर संभाग के सागर, दमोह और टीकमगढ़ जिले के 204 यात्री शामिल होंगे। भोपाल जिले से 617, विदिशा से 51, रायसेन से 51 और सीहोर से 51 यात्री जाएंगे। सागर संभाग में सागर जिले से 102, दमोह से 51 और टीकमगढ़ जिले से 51 यात्रियों को तीर्थ दर्शन का लाभ मिलेगा।

कौन-कौन हो सकता है तीर्थ-दर्शन योजना में शामिल
मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में पात्रता के लिए मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना आवश्यक है। तीर्थ-यात्री की उम्र 60 वर्ष से अधिक होना चाहिए। महिलाओं के लिए दो वर्ष की छूट दी जाती है। तीर्थ-यात्री इनकम टैक्स न भरता हो और शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम हो। योजना में जो व्यक्ति पहले तीर्थ-यात्रा कर आए हैं, वे पाँच वर्ष बाद फिर से यात्रा के लिए पात्र होंगे।

योजना में तीर्थ स्थानों का चयन

तीर्थ दर्शन योजना के तहत दो प्रकार के तीर्थ स्थलों को चयन किया गया है। इनमें एकल तीर्थ स्थल और दोहरे तीर्थ स्थलों को शामिल किया गया है।

एकल तीर्थ स्थल

श्री बद्रीनाथ, श्री केदारनाथ, श्री जगन्नाथपुरी, श्री द्वारकापुरी, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णोदेवी, शिर्डी, तिरूपति, अजमेर शरीफ, काशी (वाराणसी), गया, अमृतसर, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, श्रवणबेलगोला, वेलांगणी चर्च (नागापटटनम तमिलनाडू), गंगा सागर, कामाख्या देवी, गिरनार जी, पटना साहिब, तख्त सचखंड हजूर साहिब (नांदेड़), केशगढ़ साहिब (आनंदपुर पंजाब), दमदमा साहिब (बठिंडा, पंजाब), पोंटा साहिब (सिरमौर हिमाचल प्रदेश), मणिकर्ण (हिमाचल प्रदेश), रामदेवरा, जेसलमेर (राजस्थान), उज्जैन, श्रीरामराजा मंदिर, ओरछा, चित्रकूट, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मुडवरा, करतारपुर साहिब (पाकिस्तान), अयोध्या (उ.प्र.), संत बालानाथ जी महाराज की जन्म एवं निर्वाण स्थली ग्राम मंडावरी, जिला दौसा (राजस्थान) के नाम शामिल हैं।

दोहरे तीर्थ स्थल

रामेश्वरम – मदुरई, तिरूपति श्रीकालहस्ती, द्वारका – सोमनाथ, पुरी – गंगासागर हरिद्वार – ऋषिकेश, अमृतसर- वैष्णोदेवी, काशी – गया, काशी – अयोध्या तीर्थ स्थान के नाम शामिल हैं।

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