द्रोपदी मुर्मू के नामांकन अवसर पर CM शिवराज ने लिखा विशेष आलेख

आज झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने NDA की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। इस ख़ास मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके लिए विशेष आलेख लिखा है। अपने आलेख में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को लेकर सीएम ने अपने विचार व्यक्त किये हैं। इस आलेख में सीएम ने द्रौपदी मुर्मू को सामाजिक परिवर्तन की संवाहक बताया है। सीएम ने लिखा कि द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना भाजपा द्वारा समस्त आदिवासी और महिला समाज के भाल पर गौरव तिलक लगाने की तरह है।द्रौपदी मुर्मू संघर्ष, न्याय तथा मूल्यों के प्रति समर्पित सशक्त महिला हैं। उनका जीवन और सेवा कार्य सदा प्रेरणास्पद रहा है। वे भारतीय संस्कृतिक मूल्यों की संरक्षक व आदिवासी उत्थान की प्रणेता भी हैं।

उन्होंने आगे लिखा कि भाजपा नीत एनडीए गठबंधन ने न केवल समाज के सभी वर्गों के प्रति सम्मान का भाव रखा बल्कि कांग्रेस शासन के अंधे युग की घोषणा कर दी, जिसमें सम्मान और पद अपने लोगों को बांटे जाते थे। मोदी जी के निर्णयों में दूरदृष्टि और संवेदनशीलता हर भारतीय को महसूस हो रही है।एकात्म मानववाद की भावना से निकला है सबका साथ- सबका विकास ।

सीएम ने लिखा कि भाजपा सत्ता के लिये नहीं बल्कि भ्रमित सोच को सही दिशा देने के लिये काम कर रही है। न केवल दलित, आदिवासी बल्कि सच्चे हकदार को सम्मानित कर रही है। भारतीय लोकतंत्र में यह पहली बार होगा जब कोई आदिवासी महिला राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद को सुशोभित करेगी। उन्होंने लिखा कि भाजपा की सोच हमेशा से समरस और समतामूलक समाज की रही है। भाजपा को अपने शासनकाल में 3 अवसर मिले और तीनों बार समाज के अलग अलग समुदाय के राष्ट्रपति का चयन किया। उन्होंने लिखा कि अल्पसंख्यक वर्ग से एपीजे अब्दुल कलाम, दलित वर्ग से रामनाथ कोविंद और अब जनजातीय समुदाय से द्रोपदी मुर्मू का चयन भाजपा ने किया है। उन्होंने लिखा कि हम भारतीय जीवन मूल्यों को पुनर्स्थापित करने के लिये सत्ता में है। उन्होंने लिखा कि भारतीय जनता पार्टी ने न केवल दलित, आदिवासी और महिलाओं को शीर्ष पद पर पहुचाया अपितु राष्ट्र के सर्वोच्च पद्‌द्म सम्मानों को भी ऐसे लोगो के बीच पहुचाया जो उनके सच्चे हकदार थे। अब सम्मान मांगे नहीं जाते हैं अब सम्मान स्वयं योग्‍य लोगों तक पहुंचते हैं।

अपने आलेख में कर्नाटक की 72 वर्षीय आदिवासी बहन तुलसी गौड़ा, अयोध्या के भाई मोहम्मद शरीफ हों या फल बेच कर 150 रुपये प्रतिदिन कमा कर भी अपनी छोटी सी कमाई से एक प्रायमरी स्कूल बना देने वाले मंगलोर के भाई हरिकेला हजब्बा, आदिवासी किसान भाई महादेव कोली का भी जिक्र किया। उन्होंने अपने आलेख में जनजातीय परंपराओं को अपनी चित्रकारी में उकेरने वाली हमारे मध्य प्रदेश की बहन भूरी बाई हों या मधुबनी पेंटिंग कला को जीवित रखने वाली बिहार की बहन दुलारी देवी या कलारी पयट्टू नामक प्राचीन मार्शल आर्ट्स को देश में जीवित रखने वाले केरल के भाई शंकर नारायण मेनन या गांवों और झुग्‍गी बस्तियों में घूम-घूम कर सफाई का संदेश देने और सफाई करवाने वाले तमिलनाडु के भाई एस. दामोदरन,मध्‍यप्रदेश के बुन्‍देलखण्‍ड के श्रीराम सहाय पाण्‍डे को भी याद किया।

एक आदिवासी महिला का राष्ट्रपति बनना सामाजिक सोच को अंधकार से निकालकर प्रकाश में प्रवेश कराना है।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

Open chat
Hello 👋
For more details contact us