जानिए कैसे बिना तथ्य जाने दैनिक भास्कर ने जनता के सामने परोस दी गलत जानकारी
भोपाल। खुद को देश का सबसे बड़ा अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक भास्कर की आज देश भर में किरकिरी हो रही है। भोपाल दैनिक भास्कर अखबार के संपादकीय विभाग के कुछ गैरजिम्मेदार पत्रकारों द्वारा बगैर फील्ड पर गए और अधिकारियों से चर्चा किए बिना ही एक टेबल ड्रॉप खबर पब्लिश कर दी, जिसने अब इस अखबार की ही विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मध्यप्रदेश में जहां वर्ष 2018-19 में 31.96 लाख बच्चे थे, वहीं इस अखबार ने 3.86 करोड़ बच्चों को पोषण आहार देना बता दिया।
जानिए पूरा मामला
शुक्रवार को दैनिक भास्कर के भोपाल संस्करण में “जब प्रदेश की आबादी 8.11 करोड़ थी, तब 4.6 करोड बता दिए 0-6 साल के बच्चे” शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई। खबर लिखने वाले ने महिला एवं बाल विकास और जनगणना के आंकड़ों में विरोधाभास होने और वास्तविक आंकड़ों से 2 से 3 गुना अधिक बच्चों को राशन देने की बात कही। साथ ही यह भी लिखा कि वर्ष 2018-19 में 0 से 6 साल के बच्चों की संख्या महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 4 करोड़ 16 लाख बताई गई जबकि उस दौरान 8 करोड़ 11 लाख आबादी थी। इस भ्रामक खबर के द्वारा दैनिक भास्कर समूह ने पोषण आहार में करोड़ों रुपए के घोटाले की बात कही, जबकि वास्तविकता इस आंकडे से परे है।
जाने दैनिक भास्कर द्वारा फैलाए गए झूठ की असलियत
जनसंपर्क विभाग द्वारा दैनिक भास्कर की खबर का खंडन जारी करते हुए बताया कि अखबार में गलत तरीके से खबर को प्रकाशित किया गया है। प्रदेश में 0 से 6 साल के बच्चों की कुल संख्या 4.16 करोड न होकर एक साल में लगभग 62 लाख है। साथ ही 3 से 6 साल के बच्चों की संख्या वर्ष 2018-19 में प्रतिमाह लगभग 31.96 लाख थी जिसको की दैनिक भास्कर समूह ने 12 माह और एक बच्चे को 12 से गुणा कर के 3.36 करोड़ बता दिया। अखबार में आंकडों की गलत व्याख्या कर जनता को गलत जानकारी दी गई। साथ ही प्रतिवर्ष में 1600 करोड़ रुपए पोषण आहार में खर्च होना बताया गया जबकि पोषण आहार में वर्ष 2021-22 में कुल 1108 करोड रुपए खर्च हुए।