देश तुम्हारा तो तुमने बंटवा क्यों किया?

जमीयत ए उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मसूद मदनी के इस वक्तव्य कि- यह देश हमारा( यानी मुसलमानों का) है। जिसे हम से दिक्कत हो वह और कहीं चला जाय- पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूज्यपाद ज्योतिष्पीठ और द्वारका शारदापीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के प्रमुख शिष्य एवं द्वारका शारदापीठ के प्रभारी जी ने कहा की यदि मसूद मदनी के अनुसार यह देश मुसलमानों का है तो फिर मदनी बताएं की उन्होंने अपने ही देश के दो टुकड़े क्यों किए?

देश के टुकड़े करने वालों को देश को अपना कहने में संकोच क्यों नहीं होता? स्वामी जी ने आगे कहा की इसमें कोई प्रश्न नहीं है की यह देश किसका है, यह देश नि:संदेह उसका है जो इस देश को सर्वोपरि सम्मान देता है। मुसलमान तो सऊदी अरबिया को सर्वोपरि मानकर उसी की ओर मुंहकर कर नमाज पढ़ते हैं ‌।

पूज्य स्वामी जी ने यह भी कहा की जिस देश को मुसलमान मदनी के मुख से अपना कह रहे हैं, वह बताएं की उनके देश का नाम क्या है? अगर उनके देश का नाम भारत है तो उन्हें यह भी बताना होगा की उनके किस धर्म ग्रंथ में भारत का नाम आया है, कहना होगा की किसी में नहीं।
जबकि हिंदू सनातन धर्म शास्त्रों में जगह- जगह पर इस देश का नाम भारत और यहां के सनातनियों को भारतीय संस्कृति कहकर पुकारा गया है। भारत के संविधान में भी भारत देश शब्द का प्रयोग किया गया हैं। मदनी ने तो यहां तक कह दिया कि हम लोकसभा एवं राज्यसभा में पारित तीन तालक का कानून नहीं मानेंगे। हिजाब के विरुद्ध कानून भी नहीं मानेंगे। समान नागरिक संहिता का कानून यदि लाया जाएगा तो उसे भी नहीं मानेंगे।

अब यहां विचार करने की बात हैं जो भारत के धर्मो ग्रंथो को नहीं माने या भारत के संविधान को नहीं माने वह देश उनका केसे हो सकता हैं?
मदनी का यह वक्तव्य काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी के कारण आया हैं जिन धर्म स्थानों में हिंदू देवी देवताओं के प्रतीक विद्धमान है उनको कोई केसे झुटला सकता हैं, प्रत्यक्ष प्रमाण में संदेह नहीं होना चाहिए। निश्चित रूप से यह कहा जा सकता हैं कि भारतीय संस्कृति और संस्कारो का पालन करने वाला या भारतीय संविधान को स्वीकार करने वालों का ही यह देश हैं । पूज्य स्वामी जी ने कहा की इस तरह का वक्तव्य देना मसूद मदनी जी का तो साहस ही कहा जाएगा। उन्होंने आशा की कि मदनी जी और उनके साथी ऐसा दुस्साहस नहीं करेंगे और देश की शांति में बाधा नहीं डालेंगे।

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