ICAR में राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबाधित करते हुए बोले केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज, कहा- मैं किसान और विज्ञान को जोड़ना चाहता हूं
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को नई दिल्ली स्थित आईसीएआर में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी और पूर्व छात्र मिलन समारोह को संबोधित किया। इस दौरान शिवराज ने कहा कि- मैं बड़ी आशा से आपके बीच आया हूं, यहां आना और मेरा भाषण केवल कर्मकांड नहीं है। कृषि के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल देने की मेरी जिद, जुनून और जज्बा है और आपके साथ मिलकर मैं ये करना चाहता हूं। मैं किसान और विज्ञान को जोड़ना चाहता हूं। केन्द्रीय मंत्री शिवराज ने संबोधित करते हुए कहा कि, कृषि के क्षेत्र को आगे बढ़ाना है और किसान का कल्याण करना है, प्रधानमंत्री मोदी जी का विज़न हमारा मिशन है। उन्होंने कहा कि, जिस दिन से मैंने कृषि मंत्रालय का कार्यभार संभाला है, दिन और रात यही सोच रहा हूँ कि, कृषि को और बेहतर कैसे करें।
मैं ज्ञान का पिपासु हूं
केन्द्रीय मंत्री शिवराज ने कहा कि, मैं की भावना से नहीं बल्कि हम की भावना से काम करना है। अहंकार नहीं पालना है कि, मैं सब कुछ जानता हूं या दफ्तर में बैठे आईएएस अधिकारी ही सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि, मैं ज्ञान का पिपासु हूं और कृषि व किसानों के कल्याण के लिए दुनिया में जहां से बेहतर ज्ञान मिले वो मैं लेना चाहता हूं। इसलिए मैंने तय किया कि कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान हो, शिक्षा हो, उत्पादन हो, जिनके कारण बेहतर प्रगति हुई है। जिनकी ज्ञान के गंगा ने एक नया इतिहास लिखा है। उसके भागीरथ यहाँ इकट्ठे होने वाले हैं, तो मैंने कहा इस भागीरथी में ही स्नान करूँगा। इसलिए आपके बीच आया हूँ। भारत के संपूर्ण कल्याण के लिए कृषि बेहद ही जरूरी है।
भारत को फूड बस्केट बनाना है
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने युवा छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि, खेत, किसान से लेकर वैज्ञानिक तक अगर जुड़ जाए और ज्ञान सीधे किसान के खेत में पहुँच जाए तो चमत्कार किया जा सकता है, और हम चमत्कार करेंगे। इसके लिए आप सभी का सहयोग चाहिए। उन्होंने कहा कि, मैं खुले मन से कह रहा हूँ कि, आपके पास इनोवेटिव आइडिया होंगे, उन आइडियाज़ से हम कृषि की तस्वीर बदल सकते हैं। आपके और मेरे बीच एक फोन कॉल की दूरी है। आपके सुझाव भी आप मुझे भेज सकते हैं, फिर हम चर्चा कर सकते हैं। हमारे जितने भी एक्सपर्ट हैं, जो सोचते हैं, समझते हैं और रिसर्च करते हैं, हम सब मिलकर ऐसा रोडमैप बना लें जिस पर चलकर न सिर्फ भारतीय कृषि और किसान का कल्याण हो सके, बल्कि भारत को हम फूड बास्केट बना दें। दुनिया को हम अन्न खिलाएं और आपका साथ मिला तो यह असंभव नहीं है।
किसानों की संतुष्टि, हमारी प्राथमिकता
शिवराज ने कहा कि, हमारे यहां 86% किसान स्मॉल, मार्जिनल फार्मर हैं। डेढ़ एकड़, दो एकड़, ढाई एकड़, 1 हैक्टेयर पर खेती करते हैं। अब हमको खेती मॉडल ऐसा बनाना पड़ेगा कि, एक हैक्टेयर तक की खेती में कैसे किसान अपनी आजीविका ठीक से चला सकें। इसलिए हमें उत्पादन बढ़ाना है, उत्पादन की लागत घटाना है, तीसरी चीज उत्पादन का ठीक दाम देना है। घाटे की नहीं फायदे की खेती बनाना है और उसके लिए हम प्रतिबद्ध है, प्रधानमंत्री जी प्रतिबद्ध है। चौहान ने कहा कि, हमारे सामने एक चुनौती और है, धरती के स्वास्थ्य को बनाए रखना। केमिकल फर्टिलाइजर का अनियंत्रित उपयोग धरती के स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है। हम इतने स्वार्थी नहीं हो सकते कि, बस आज की पीढ़ी की चिंता करें। ऐसी धरती तो छोड़ कर जाएं कि, आने वाली पीढियां भी जिंदा रह पाएं। इसलिए प्राकृतिक खेती, जैविक खेती या मिट्टी का स्वास्थ्य कैसे संतुलित रहे इसकी भी चिंता करनी है। अनेकों चुनौतियां हमारे सामने हैं, लेकिन किसानों की संतुष्टि, हमारा सबसे बड़ी प्राथमिकता है।