उज्जैन : सड़क चौड़ीकरण में नहीं टूटेगा 457 वर्ष पुराना नयापुरा का जैन मंदिर, प्रशासन ने ली जिम्मेदारी

उज्जैन में के. डी. गेट से इमली चौराहा चौड़ीकरण का कार्य तेजी से जारी है। इस चौड़ीकरण की जद में 457 वर्ष पुराना जैन मंदिर भी आ रहा है। अपने आप में एक इतिहास समेटे इस मंदिर का नाम है चिंतामणि पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर। प्राचीन जैन मंदिर प्रांगण को तोड़ने का नोटिस प्रशासन ने दिया है और प्रथम चरण में सड़क पर 20 फीट तक आने वाले अन्य धर्मस्थल सुरक्षित रखने के फैसले पर इंदौर के दिगंबर जैन समाज में भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। नोटिस की खबर फैलते ही जैन समाज में आक्रोश है। स्थानीय और देश की जैन समाज के लोगों का कहना है कि उज्जैन में नयापुरा का 1566 में निर्मित प्राचीन जैन मंदिर प्रांगण 457 वर्ष बाद 26 जून 2023 को अवैध निर्माण लिखकर तोड़ने का नोटिस क्र.1099 निकला था जिसे रद्द करने को लेकर जैन समाज ने देशव्यापी विरोध करने का निर्णय लिया है।

प्रशासन ने किया साफ- नहीं टूटेगा मंदिर

वहीं प्रशासन का कहना ये है कि ये पहल सड़क चौड़ीकरण के लिए आम जन की सुविधा हेतु है। मंदिर के द्वार पर नगर रक्षक नाम से प्रसिद्ध क्षेत्रपाल मंदिर है जिसे कोई भी क्षति नहीं होगी। आपको बता दें, जैन मंदिर के अलावा वहां 15 मंदिर और हैं जिनको सड़क चौड़ीकरण के लिए एडजस्ट किया जा रहा है इसमें किसी भी मंदिर को कोई भी क्षति नहीं होगी। दूसरी दूसरी बात यह है कि जैन समाज के सभी लोगों से बात करके एक आम राय बनाकर ही उस पर काम किया जा रहा है, इसमें कोई मंदिर तोड़ा नहीं जाएगा बल्कि उसका चौड़ीकरण किया जाएगा।

उज्जैन:चार सौ साल पुराने जैन मंदिर में केसर की वर्षा, चमत्कार मानकर दर्शन  के लिए उमड़ रहे ग्रामीण - Ujjain: The Rain Of Saffron In The Four Hundred  Year Old Jain Temple,

मंदिर-मस्जिद प्रशासन की जिम्मेदारी

डेढ़ किलोमीटर के इस मार्ग में एक मस्जिद, एक दरगाह और 13 मंदिर आते हैं। इन सभी के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा निर्णय लिया जाएगा। चौड़ीकरण के लिए ठेकेदार के 50 व्यक्ति, नगर निगम जोन क्रमांक एक और दो, प्रकाश विभाग, पीएचई विभाग, विद्युत मंडल के कर्मचारी, इंजीनियर समेत तीन पुलिस थाने का बल मौजूद है। बता दें कि इस मार्ग के चौड़ीकरण के लिए सिंहस्थ 2016 से पहले भी टेंडर निकाले गए थे, लेकिन समय के अभाव के चलते यह नहीं हो सका था। लेकिन अब 4 महीने के अंदर इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है और काम तेजी से चल रहा है।

स्थानीय लोगों का क्या है कहना

समाज के विभिन्न संगठनों और वरिष्ठजन ने कहा है कि 12 मीटर की सड़क को 24 मीटर चौड़ी करने के लिए प्राचीन मंदिर को अवैध कहकर तोड़ना स्वीकार नहीं है। उन्होंने 26 जून का नोटिस वापस लेने की मांग की है, अन्यथा आंदोलन की चेतावनी भी दी है। इंदौर दिगंबर जैन समाज सामाजिक सांसद महासमिति और अन्य जैन मंडलो ने इसका विरोध किया है।

इस मंदिर की क्या है खासियत

1008 चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान का यह अतिप्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर लगभग चार सौ सत्तावन वर्ष प्रचीन है। मुख्य वेदी के मध्य में मूलनायक तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान की मनोरम प्रतिमा है। यह मान्यता है कि उक्त प्रतिमा जो विक्रम संवत 1623 में प्रतिष्ठित कर जिनालय में विराजमान की गई थी। साथ ही वेदी मे मुनिसुव्रत नाथ एवं नेमिनाथ स्वमी की भी अति प्राचीन एवं अतिशयकारी प्रतिमा मुख्य रूप से विराजमान है। मूल वेदी के दांयी और वर्तमान काल की चौबीसी के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथजी साथ ही प्रथम चक्रवर्ती भरतजी एवं बाहुबली स्वामी की प्रतिमा एवं बायीं और शांतिनाथजी, कुंथुनाथजी एवं अरहनाथजी की खड्गासन प्रतिमा विराजमान है।

क्षेत्रपाल बाबा को माना जाता है रक्षक

मंदिर का प्रथम जीर्णोद्धार विक्रम संवत 1887 में लगभग 200 वर्ष पूर्व जैन समाज के सहयोग से किया गया था, जो कि गर्भगृह के रजत द्वार पर अंकित तिथि से ज्ञात होता है। मंदिर के निर्माण एवं भव्यता की बात करे तो सभा मंडप एवं गर्भगृह स्थित मुख्य वेदी सहित सम्पूर्ण मंदिर की दीवारों एवं छतों पर विभिन्न रंगों के कांच का उपयोग कर मंडल विधान एवं सुंदर मीनाकारी की गई है जो देखते ही बनती है। मंदिर के वास्तु की बात करें तो यह पूर्व दिशा की और स्थित है। साथ ही सम चतुर सीमा में निर्मित है अपने विशेष वास्तु शिल्प के कारण मंदिर रमणीय और मंगल आनंद प्रदायक है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के बायीं ओर क्षेत्रपाल बाबा की स्थापना की गई है। इनके बारे में किवदंती है कि इन्हें नगर रक्षक के रूप माना जाता रहा है।

मंदिर के पास नगर का मुख्य द्वार अवशेष रूप आज भी जर्जर अवस्था में स्थित है, जिसे पहले फूटा दरवाजा के नाम से जाना जाता था। प्रथम तल पर मंदिर की शोभा बढ़ाता अति उन्नत शिखर निर्मित है। साथ ही चन्द्रप्रभु भगवान का समोशरण भी विराजमान है। अपनी भव्यता एवं प्राचीनता के कारण उज्जैन शहर में नयापुरा स्थित यह जिनालय जैन समाज की शान माना जाता है। यहां प्रतिदिन श्रद्धालु एवं समाजजन प्रभु के दर्शन कर पुण्य लाभ ले रहे हैं। साथ ही सम्पूर्ण विश्व में जैन समाज की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। उज्जैन रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से मात्र 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टेशन के बाहर से मंदिर तक के यातायात के साधन आसानी से न्यूनतम शुल्क पर उपलब्ध है।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

Open chat
Hello 👋
For more details contact us