सीएम विष्णुदेव साय की सुशासन वाली सरकार में ग्रामीणों को जागरूक करने का कार्य हुआ शुरू, बच्चों अभिभावकों सहित ग्रामीणों को किया गया जागरूक
जशपुर : लोदाम क्षेत्र अंतर्गत ग्राम जामटोली में बाल लैंगिक शोषण के संबंध में जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ,इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों सहित उनके अभिभावकों व ग्रामीणों को जागरूक कर बाल लैंगिक शोषण के विषय में विस्तृत जानकारी दिया गया।यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अर्पण संस्था के द्वारा दिया गया।इस दौरान विद्यालय के शिक्षक प्रभावती सिंह व कैलाश साय,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सत्यम सिंह,सहित भारी संख्या में ग्रामीण भी मौजूद रहे।
ज्ञात हो की सीएम विष्णुदेव साय की सुशासन वाली सरकार में ग्रामीणों को जागरूक करने विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है,इस क्रम में अर्पण संस्था के द्वारा लोदाम के जामटोली के शासकीय प्राथमिक शाला में प्रशिक्षण दिया गया में बाल लैंगिक शोषण के विषय में जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया,इस प्रशिक्षण में बाल लैंगिक शोषण के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुवे संस्था की तरफ से मुंबई से आये प्रशिक्षक सुमित एवम रायपुर से आये प्रशिक्षक प्रवीण कुमार ने बताया कि माता के द्वारा अपने बच्चों को सुरक्षित और असुरक्षित स्थितियों को पहचानने के बारे में सिखाया जाता है. ताकि वे दोनों के बीच का फर्क पहचान सके और खुद को असुरक्षित स्थितियों में सुरक्षित रखने के लिए कदम उठा सकें। किसी का भी हमारे निजी अंगों को साफ और स्वस्थ रखने के सिवाय उन्हें छूना, देखना या उनके चारे में बात करना असुरक्षित है। अगर कोई इस नियम को तोड़ने की कोशिश करें,तो वहां से तत्काल अन्यत्र जगह चले जाएं और मददगार व्यक्ति को बताओ और मदद मिलने तक बताते रहो। यह बच्चों को ये महत्वपूर्ण संदेश भी देता है कि अगर कोई उन्हें असुरक्षित महसूस कराता है या उनके सुरक्षा नियम को तोड़ता है तो उसमें बच्चे की गलती नहीं है बल्कि ऐसा कुकृत्य करने वाले की गलती है जिस पर खुल कर अपने अभिभावकों या मददगार तक बात पहुंचा सुरक्षित रहा जा सकता है।
प्रशिक्षकों ने आगे बताया कि याद रखिए कि बच्चों के लिए खुलासा करना मुश्किल होता है। किसी पीड़ित या सर्वाइवर को लैंगिक शोषण के बारे में बात करने में कई दिन, महीनों, सालों (या कभी भी नहीं बता सकते हैं) लग सकते हैं,सब्र रखिए और उनका साथ दीजिए,इस बात कभी ध्यान रखें कि सुरक्षा के लिहाज से बच्चे के लिए शोषण के बारे में बताना या मदद मांगना उतना ही मुश्किल होता है इस लिए बच्चों से हमेशा एक दोस्त की भांति पेश आए ताकि वह खुलकर आपसे हर बात साझा कर सकें। बाल लैंगिक शोषण का प्रभाव बताते हुवे प्रशिक्षकों ने आगे बताया कि लैंगिक शोषण का प्रभाव बच्चों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और लैंगिक व्यवहार पैटर्न पर पड़ता है। बाल लैंगिक शोषण के बाद बच्चे तुरंत परस्पर विरोधी भावनाओं का अनुभव कर सकते हैं,जैसे शर्म, दोष, दुःख और गुस्सा,डर, हैरानी और उलझन। यह पहचानना कि बच्चे के साथ लैंगिक शोषण किया गया है काफी मुश्किल होता है लेकिन शोषण की घटना को पहचानना माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए एक कौशल है। अधिकांश बच्चे शोषण की रिपोर्ट नहीं करते हैं। लेकिन माता-पिता और देखभाल करने वाले बच्चों के व्यवहार में बदलाव के आधार पर लैंगिक शोषण की पहचान कर सकते हैं। कोई भी ‘एक’ व्यवहार यह निर्धारित नहीं करता है कि किसी बच्चे के साथ लैंगिक शोषण किया गया है। ये कुछ संकेतक हैं.जिसमें हमें सतर्क रहने में मदद कर सकते हैं।
१. अकादमिक प्रदर्शन में अचानक बदलाव
२. पेशाब की जगह पर बार-बार संक्रमण या बयान न किया जानेवाला दर्द या जननांगों में सूजन
३. बहुत भूख लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना या अचानक वजन कम होना या बढ़ना
४. किसी जगह व्यक्ति/रंग आदि के प्रति अचानक असंगत डर
५. लोगों से दूरी बनाना, मनमुटाव या आक्रमकता बढ़ाना
६. खुद को नुकसान पहुंचाने वाला व्यवहार या आत्महत्या का प्रयास
०. निष्क्रिय या अत्याधिक खुशमिजाज व्यवहार
८. लैंगिक भाषा या लैंगिक व्यवहार का इस्तेमाल करना, जिसमें अत्यधिक लैंगिक खेल, अनुचित लैंगिक टिप्पणियों या इशारे करना,वक्त से पहले लैंगिक गतिविधि करना शामिल है
५. चाल लैंगिक शोषण के निश्चित संकेतक हैं।