शिवराज का कांग्रेस पर प्रहार, कहा- नेहरू, इंदिरा और राजीव ने लाल किले से कभी किसान का नाम तक नहीं लिया
केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को राज्यसभा में कृषि और किसान संबंधी कामकाज पर वक्तव्य देते हुए कांग्रेस को जमकर घेरा। चौहान ने कहा कि, जो दिल में होता है वो जुबान पर आ ही जाता है। कांग्रेस के दिल में कभी किसान नहीं रहा इलसिए जुबान पर भी कभी नहीं आया। श्री चौहान ने कहा कि, कांग्रेस का किसानों के विकास और कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि, इनके एक नेता बड़ी-बड़ी यात्राएं करते हैं। यात्रा के दौरान जब हरियाणा के सोनीपत में खेत में पहुंचें तो रियल दिखने के लिए कई कैमरामेनों के साथ रील बनाई। किसानों से ज्यादा उनका फोकस कैमरामेनों पर था। कैमरामेनों से ही पूछ रहे थे कि, कहां खड़े होना है, क्या करना है..? श्री चौहान ने सोनीपत का ये वीडियो ऑथेन्टिकेट कर राज्यसभा में पटल पर रखा।
कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की प्राथमिकता में कभी किसान नहीं रहे
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, मैंने देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण पढ़े, पर कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की प्राथमिकता में कभी किसान नहीं रहा। स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषणों में कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने कभी किसान के विकास और कृषि की प्रगति की बात नहीं की। पंडित नेहरू जी ने 15 अगस्त के अपने भाषणों में सन 1947 में एक बार किसान का नाम नहीं लिया, 1948 में एक बार, 1949 में नहीं लिया, 1950 में नहीं लिया, 1951 में नहीं लिया, 1952 में नहीं लिया, 1953 में नहीं लिया, 1954 में नहीं लिया, 1955 में नहीं लिया, 1956 में नहीं लिया, 1957 में नहीं लिया, 1958 में नहीं लिया, 1959 में नहीं लिया, 1960 में नहीं लिया, 1961 में नहीं लिया, किसान शब्द एक बार भी नहीं आया। स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने भी 15 अगस्त के अपने भाषणों में 1966 में दो बार, 1967 में एक बार, 1968 में तीन बार, 1969 में तीन बार, 1970 में एक बार, 1971 में नहीं लिया, 1972 में नहीं लिया, 1973 में दो बार, लेकिन ये भी केवल केजुअली लिया गया, किसानों की कोई पॉलिसी की बात नहीं की। वहीं स्वर्गीय राजीव गांधी जी ने भी कभी किसान कल्याण को प्राथमिकता नहीं दी। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने भाषणों में 2014 में 6 बार, 2015 में 23 बार, 2016 में 31 बार, 2017 में 20 बार, 2018 में 17 बार, 2019 में 17 बार, 2020 में 17 बार, 2021 में 15 बार किसानों का नाम लिया है। किसान का नाम, खेती को प्राथमिकता पर बात की। नरेंद्र मोदी जी के दिल में किसान था, इसलिए जुबान पर किसान बार-बार आता है।
कांग्रेस की तत्कालीन राज्य सरकारों ने किसानों पर गोलियां बरसाई
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, कांग्रेस किस मुंह से किसान की बात करती है। तत्कालीन कांग्रेस की राज्य सरकारों में किसानों पर अंधाधुंध फायरिंग की गई है। किसानों पर गोलियां चलाई गई है। जिसमें कई किसानों की जान गई है। श्री चौहान ने कहा कि, 1986 में जब कांग्रेस की सरकार बिहार में थी तब 23 किसानों की मौत गोलीबारी में हुई थी। 1988 में दिल्ली में श्रीमती इंदिरा गांधी जी की पुण्यतिथि पर किसानों पर गोलियां चलाई गई, उसमें 2 किसान मारे गए। 1988 में मेरठ में किसानों पर फायरिंग की गई, जिसमें 5 किसानों की मौत हो गई। 23 अगस्त 1995 में हरियाणा में गोलियां चलाई गई जिसमें 6 किसान मारे गए। 12 जनवरी 1998 में मुलताई में किसानों पर गोली चलाई गई, जिसमें 24 किसान मारे गए। आंध्रप्रदेश में 2010 में 9 किसान मारे गए। कांग्रेस किसान विरोधी है ये केवल किसान हितैषी बनने का ढोंग करते हैं।
किसानों को डिजिटल पहचान दी जाएगी
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, फसल खराब होने के बाद मुआवजे को लेकर कई बार गड़बड़िया सामने आई है। उन्होंने कहा कि, जब मैं मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री था तो नरसिंहपुर जिले में गया, वहां किसानों ने मुझसे शिकायत की और कहा कि, जिसका गन्ना बोया था, उसको गेहूं की फसल खराब होने का मुआवजा दे दिया। पटवारी के मन में अगर आ गया तो इधर की उधर लिख दिया। कई शिकायतें हर एक राज्य में आती हैं, इस व्यवस्था को ठीक करने की जरूरत थी। इसलिए विजनरी प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी को किसानों की तरफ से धन्यवाद देना चाहूंगा कि, उन्होंने डिजिटल कृषि मिशन शुरू करने का संकल्प लिया। मुझे कहते हुए गर्व है कि, किसानों को आधार की तरह एक डिजिटल पहचान दी जाएगी। किसान आईडी बनाई जा रही है, जिसको किसान की पहचान के रूप में जाना जाएगा। इस किसान आईडी को राज्य के भूमि के रिकॉर्ड के साथ जोड़ा जाएगा। अब किसान कोई भी फसल बोएगा, उसके रिकॉर्ड में कोई हेराफेरी नहीं हो सकती क्योंकि वो डिजिटल है। कोई भी उसमें गड़बड़ नहीं कर सकता। फसल अगर बोई गई है तो बोने के बाद जैसे ही फसल आती है, मोबाइल से वीडियोग्राफी करके उसको सुरक्षित कर दिया जायेगा ताकि फसल कौनसी बोई है उसमें कोई गड़बड़ ना कर सके। किसानों के नुकसान का आंकलन के लिए अब हम ये व्यवस्था बना रहे हैं कि आदमी नहीं करेगा सीधे रिमोट सेंसिंग के माध्यम से होगा। जैसा नुकसान होगा वो 100% वैसा ही आ जायेगा।
कृषि में अगले पांच सालों के लिए सरकार का विजन
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि, हमारी सरकार मोदी जी के नेतृत्व में एक विजन से काम कर रही हैं और इसलिए उस विजन को प्रकट करना है। श्री चौहान ने अगले पांच सालों का विजन बताते हुए कहा कि, क्लाइमेट चेंज के इस दौर में हमको जलवायु अनुकूल, बायो फोर्टिफाइड की नई फसलों की किस्में तैयार करना पढ़ेगी। हम 1500 नई किस्में तैयार करने जा रहे हैं, प्रधानमंत्री जी कुछ दिनों में ही 109 नई किस्मों को किसानों को समर्पित करने वाले हैं ताकि बढ़ते हुए तापमान के बाद भी कृषि में उत्पादन लगातार बढ़ता रहे। किसानों को डिजिटल आइडेंटिटी दी जा रही है, सरकार मिशन के तौर पर काम कर रही है। फसलों के विविधीकरण पर काम किया जा रहा हैं। प्राकृतिक खेती हमारे विजन में है। लैब रिसर्च को लैंड तक ले जाना हमारा विजन है। वन हेल्थ अप्रोच पर हम काम कर रहे है, जो मानव पशु पौधे और पर्यावरण स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को उजागर करता है। हमारा मंत्रालय बीज की 1500 से ज्यादा नई किस्म तैयार कर रहा है। 18 हजार करोड़ रुपए के निवेश के साथ 100 एक्सपोर्ट ओरिएंटेड बागवानी क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। आधुनिक पोस्ट हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.40 करोड़ का अभूतपूर्व निवेश कर रहे है। ई-नाम 2.0 का शुभारंभ और अतिरिक्त 1500 मंडियों का एकीकरण का काम किया जा रहा है। 6800 करोड रुपए के निवेश के साथ तिलहन मिशन की शुरुआत कर आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बहुआयामी अप्रोच के माध्यम से बीज क्षेत्र के विकास पर जोर दिया जा रहा है। 50हजार गांव को जलवायु अनुकूल गांव के रूप में विकसित करने के लिए हमें साहसिक पहल करने जा रहे हैं। सूक्ष्म सिंचाई के तहत एक करोड़ 20 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को कवर करने की योजना पर काम किया जाएगा। हम अगले दो वर्षों में 200 जिलों में मौजूद फसल प्रणाली में 2500 पारंपरिक किस्म को वापस लाने पर बल दे रहे हैं। अगले 5 वर्षों में आदर्श दलहन और तिलहन गांव के विकास पर हम काम करेंगे। हमारा लक्ष्य की हम दलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करें। मिशन मोड पर जलवायु अनुकूल कृषि पर काम किया जा रहा है। छोटे किसान भी अधिक लाभ कमा सकें, इसके लिए हम मॉडल फार्म बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि, मैं सभी सांसदों से अनुरोध कर रहा हू कि एक बार कृषि विज्ञान केंद्र जरूर जाएं।
सम्मान निधि से किसान स्वावलंबी और सशक्त हुआ है
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, हम किसान सम्मान निधि पर चर्चा कर रहे थे, कांग्रेस ने किसानों को सीधी मदद की बात की, लेकिन कांग्रेस ने कभी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजना नहीं बनाई। हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने यह योजना बनाई। लघु, छोटे, सीमांत किसानों के लिए 6000 रुपये की राशि मायने रखती है। इस किसान सम्मान निधि के कारण किसान आत्मनिर्भर बने हैं, किसान सशक्त भी हुए हैं और किसानों का सम्मान भी बढ़ा है, लेकिन कांग्रेस को किसानों का सम्मान नज़र नहीं आ रहा है। वहीं श्री चौहान ने कहा कि, अगर खेती के लाभ को बढ़ाना है तो व्यापक दृष्टिकोण अपनाना पढ़ेगा। प्रधानमंत्री जी ने मुझे निर्देश दिया है कि, खेती और खेती से संबंधित सारे विभाग एक दिशा में चलें। हम जानते हैं विभाग अलग-अलग हैं, केमिकल फर्टिलाइजर विभाग अलग है, जल शक्ति विभाग अलग है। इसलिए सरकार ये प्रयास कर रही है कि अलग-अलग विभाग चाहे वो एनिमल हस्बेन्डरी हो, फिशरीज हो, हॉर्टिकल्चर हो, ये मिलकर प्लानिंग करें एक दिशा में चलें ताकि हम खेती में लाभ को और ज्यादा बढ़ाने का काम कर सकें। एक-एक दृष्टिकोण ये सरकार अपनायेगी।