हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना की विसंगतियां दूर की : शिवराज सिंह चौहान
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को संसद में प्रश्नकाल के दौरान कृषि मंत्रालय के कामकाज संबंधि जवाब देते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। फसल बीमा योजना के संबंध में चर्चा करते हुए चौहान ने कहा कि, पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में कई तरह की कठिनाईयां थी। किसानों के लिए उच्च प्रीमियम थे। दावों के निपटान में विलंब होता था। किसान और किसान संगठनों को कई तरह की आपत्तियाँ थी। नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेकर आए और जब से ये फसल बीमा योजना आई है, आप तुलना करके देख लीजिए पहले केवल 3 करोड़ 51 लाख आवेदन आते थे, लेकिन अब 8 करोड़ 69 लाख आवेदन आए हैं, क्योंकि किसानों को भरोसा है। जब कांग्रेस की सरकार थी तब नॉन लोनी किसानों के केवल 20 लाख आवेदन आते थे, और अब 5 करोड़ 48 लाख आए हैं। कांग्रेस सरकार में कुल किसान आवेदन 3 करोड़ 71 लाख थे, जो अब 14 करोड़ 17 लाख हैं। वहीं चौहान ने कहा कि, 32 हजार 440 करोड़ रुपए प्रीमियम किसानों ने दिया है और 1 लाख 64 हजार करोड़ रुपए उनको क्लेम दिया गया है।
योजना में 3 लाख 97 हजार करोड़ किसान हुए कवर
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, पुरानी फसल बीमा योजना में बीमा आवश्यक रूप से किया जाता था और बीमे की प्रीमियम की राशि बैंक अपने-आप काट लेता था। हमारी सरकार ने इस विसंगति को दूर किया है। अब किसान की मर्जी है तो वह बीमा कराएं और मर्जी नहीं है तो ना कराएं। चौहान ने कहा कि, पहले अऋणि किसान बीमा नहीं करवाता था, लेकिन अब वो भी चाहे तो बीमा करवा सकता है। अब तक इसमें 5 लाख 1 हजार हेक्टेयर कवर हुआ है, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 5 लाख 98 हजार हेक्टेयर हो गया है। वहीं 3 लाख 97 हजार करोड़ किसान कवर हुए हैं, और किसान निरंतर फसल बीमा योजना को अपना रहे हैं। योजना को सरल बनाने के लिए सकार ने अनेकों उपाय किए हैं, जिससे योजना का लाभ लेने में किसानों को कोई दिक्कत और परेशानी ना हो।
नुकसान का आंकलन रिमोट सेंसिंग से होगा
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एक और नवाचार किया है। अब नुकसान का आंकलन नज़री नहीं रिमोट सेंसिग के माध्यम से कम से कम 30 प्रतिशत करना अनिवार्य कर दिया गया है। कई बार क्लेम के भूगतान में देरी होती है। इसलिए अगर देरी होती है तो बीमा कंपनी 12% पेनल्टी देगी, जो सीधे किसान के खाते में जाएगी। अगर हम देरी के कारण देखें तो अधिकांश राज्यों द्वारा प्रिमीयम सब्सिडी में अपने हिस्से को देरी से जारी करना सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि, मैं सभी राज्य सरकारों से निवेदन करता हूं कि, अपना हिस्सा जारी करने में देर ना करें। कई बार उपज के आंकड़े विलंब से प्राप्त होते हैं। कुछ मामलों में बीमा कंपनी और राज्यों के बीच विवाद सामने आता है। पहले एक व्यवस्था थी कि, जब राज्य सरकार अपनी राशि जारी करती थी, तभी केन्द्र सरकार भी अपना हिस्सा देती थी, लेकिन केन्द्र सरकार ने अब एक प्रावधान किया है और राज्य सरकार के शेयर से खुद को को डी-लिंक कर लिया है। इसलिए अब केन्द्र सरकार अपना शेयर तत्काल जारी करेगी ताकि किसान के भूगतान में देरी ना हो। किसान को कम से कम केन्द्र की राशि समय पर मिल जाए।
पीएम फसल बीमा योजना के 3 मॉडल
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पूरे देश के हर जिले के और हर किसान के लिए है। प्रधानमंत्री फसल बीमा के 3 अलग-अलग मॉडल हैं और उस मॉडल में केंद्र सरकार केवल पॉलिसी बनाती है। राज्य सरकार जिस मॉडल को चुनना चाहे उस मॉडल को चुनती है। ये फसल बीमा योजना हर राज्य के लिए आवश्यक नहीं है, जो राज्य इस योजना को अपनाना चाहे अपनाएं और जो राज्य नहीं अपनाना चाहे नहीं अपनाएं। वहीं श्री चौहान ने कहा कि, बिहार में अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू नहीं किया है। बिहार की एक अपनी योजना है वो उस योजना के हिसाब से अपने किसान को लाभान्वित करते हैं।