मप्र की विधानसभा, संसद और देश की अन्य विधानसभाओं से ऑनलाइन जुड़ जाएगी
मप्र की विधानसभा को देश भर की विधानसभा और संसद के साथ ऑनलाइन जोड़ने में आने वाले खर्च का 60 फीसदी हिस्सा केंद्र और 40 फीसदी राज्य को देना होगा। दिल्ली में चल रहे विधान सभाओं के प्रमुख सचिवों के सम्मेलन में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय ने ई-विधान के संबंध में जानकारी मांगी है, जिसमें यह बात सामने आई है कि मप्र में अभी विधायकों द्वारा जनता से सीधे जुड़ने के प्लेटफॉर्म की शुरुआत नहीं हो पाई है। विधानसभा का प्रस्ताव अभी शासन स्तर पर विचाराधीन है।
इस सम्मेलन में जानकारी सामने आई कि 9 राज्यों ने ई-विधान से विधानसभाओं को जोड़ने का काम शुरू कर दिया है। उत्तरप्रदेश विधानसभा में यह काम शुरू हो गया है, विधान परिषद में शुरू किया जाना है। बिहार में विधान परिषद को जोड़ा जा रहा है, विधानसभा में इसकी शुरुआत होना है। केरल, हिमाचल, अरुणाचल, तमिलनाडु़, मिजोरम, हरियाणा और गोवा की विधानसभाएं ई-विधान के माध्यम से प्लेटफॉर्म पर आ चुकी हैं, जहां विधायक 24 घंटे में कभी भी जनता की समस्याओं को विधानसभा भेज रहे हैं। यहां से उन्हें शासन को भेजा जा रहा है।
मप्र विधानसभा को ई-विधान से जोड़े जाने में 35 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें से 14 करोड़ रुपए ही राज्य सरकार को देना है, बाकी 21 करोड़ रुपए केंद्र देगा।