जानिए आखिर ऐसा क्या हो गया कि सीएम शिवराज को बोलना पड़ा कि न्याय की भाषा मातृभाषा हो
जबलपुर। संस्कारधानी जबलपुर में जस्टिस जेएस वर्मा की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला में शामिल होने पहुंचे सीएम शिवराज ने जस्टिस जेएस वर्मा द्वारा किए गए निर्णयों की सराहना की। सीएम ने मंच से जनता को बताया कि जस्टिस जेएस वर्मा का नाम सुनते ही मध्यप्रदेश का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। वो इतने सख्त और कठोर थे कि जूनियर थर-थर काँपते थे, लेकिन उनके कई फैसले ऐसे थे जिन्होंने स्थापित कर दिया रूल बाय लॉ को कैसे फ़ॉलो किया जाता है। साथ ही उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों से कहा कि न्याय की भाषा मातृभाषा क्यों नहीं हो सकती, यह हमें सोचना चाहिए।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जस्टिस जेएस वर्मा ने निर्भया कांड के कलंक को धोने के लिए जो काम किया है उसे हमेशा याद रखा जाएगा। साथ ही यह भी बताया कि जस्टिस जेएस वर्मा ने कामकाजी महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिए जो गाइडलाइन बनाई थी, उसे हम विशाखा गाइडलाइन के नाम से जानते हैं। क्रिमिनल लॉ में संशोधन के लिए वर्मा पैनल का गठन किया गया और ऐसे संशोधन हुए, जो मील का पत्थर साबित हुए। कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने कहा कि न्याय की भाषा मातृभाषा क्यों नहीं हो सकती हमें इस पर भी विचार करना चाहिए। अटल बिहारी वाजपेयी जी को प्रणाम करता हूँ जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया और पीएम नरेंद्र मोदी को प्रणाम करता हूँ जो बेजिझक हिंदी में बात करते हैं।
दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी देने वाला देश का पहला राज्य एमपी
कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बताया अभी भोपाल में एक मासूम बच्ची के साथ घटना घटी। मासूमों के साथ जो अनैतिक घटनाएँ घटती हैं, उसमें ज्यादातर मामलों में परिचित ही दोषी होते हैं। मध्य प्रदेश ऐसा पहला राज्य है जिसने यह कानून बनाया की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को फाँसी की सजा दी जाएगी। इसमें कई लोगों को सजा भी मिली भी है।