जानिए आखिर क्यों शिक्षकों से सीएम शिवराज ने भरे मंच से दिया कि आप नौकरी नहीं कर रहे
भोपाल। राजधानी में रविवार को नवनियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में लोग उस समय दंग रह गए जब सीएम शिवराज ने भरे मंच से शिक्षकों से कह दिया कि आप लोग नौकरी नहीं कर रहे। कुछ देर के लिए लोग स्तब्ध रह गए कि आखिर सीएम ने नवनियुक्त शिक्षकों को ऐसा क्यों कह दिया। हालांकि सीएम ने लोगों को बताया कि यह शिक्षक कोई नौकरी नहीं कर रहे बल्कि असल मायने में ये भविष्य निर्माता है, देश का भविष्य गढ रहे हैं। कार्यक्रम की शुरुआत सीएम ने कन्या पूजन और गुरु वंदना कर की। शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपकर सीएम ने नई शिक्षा नीति के बेहतर क्रियान्वयन पर भी जोर दिया गया।
कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ ही मंत्री मीना सिंह, इंदर सिंह परमार समेत शिक्षा विभाग से जुड़े कई अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान सीएम ने अपनी स्कूली शिक्षा के बारे में बताते हुए कहा कि मैं सरकारी स्कूल में पढ़ा हूं। जब मैं अपने गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ता था तो उस समय टाट पट्टी भी नहीं होती थी बैठने के लिए, हम लोग एक-एक फट्टा बिछाने के लिए अपने घर से लेकर जाते थे। स्कूल जाकर हम सबसे पहले अपने शिक्षक के पैरों पर सिर रखकर प्रणाम करते थे। इस दौरान सीएम ने कार्यक्रम में मौजूद नवनियुक्त शिक्षकों को प्रणाम करते हुए कहा आप सब मेरे भांजे-भांजियों के गुरु हैं इसलिए आप सब गुरु का आदर, सम्मान हो, समाज में इज्जत और मान रहे यही मेरी कामना है। उन्होंने कहा सवाल कभी उम्र का नहीं होना चाहिए कि कौन छोटा है कौन बड़ा है गुरु हमेशा गुरु होता है समाज को हमेशा गुरुओं का सम्मान करना चाहिए। शिक्षकों से कहा आप लोग यह भूल जाओ कि आप कोई नौकरी करने वाले शासकीय सेवक हो आप भविष्य गढ़ने वाले गुरु हो। सीएम ने शिक्षकों को वचन दिया कि मैं आप के मान सम्मान को बनाए रखने में कभी कोई कसर नहीं छोडूंगा।
दिग्विजय की सरकार में शिक्षा व्यवस्था थी चौपट
सीएम ने पूर्व की सरकार का नाम लिए बगैर कहा कि एक जमाना था जब शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चौपट कर दी गई थी। गुरुजी, शिक्षाकर्मी पता नहीं कितने वर्ग बन गए और उसके कारण विद्यार्थियों का भविष्य भी चौपट हुआ और शिक्षा की व्यवस्था भी चौपट हो गई। उन्होंने बताया कि जब वह सांसद थे तो एक स्कूल में गए और वहां एक बच्चे से पूछा बेटा बताओ गंगा जी कहां से निकलती है तो बच्चा अचकचा गया और कह दिया की विंध्याचल से निकली हैं। इस पर सीएम ने जब उस बच्चे को पढ़ाने वाले शिक्षक से पूछा कि यह गलत उत्तर दे रहा है तो उसने भी साफ शब्दों में कह दिया कि साहब 500 रूपए की वेतन में विंध्याचल से ही निकलेंगी गंगा जी। ऐसे हालात थे उस समय शिक्षा व्यवस्था के।
शिक्षा के साथ ही कौशल भी निखरे: सीएम
कार्यक्रम में सीएम ने शिक्षकों से कहा कि आप लोगों को विद्यार्थियों को ज्ञान देने का काम तो करना ही है लेकिन साथ ही कौशल भी बढ़ाना है बच्चों का। कौशल का मतलब है कि बच्चा इतना योग्य बन जाए कि नौकरी-रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें न खाना पड़े। सीएम ने पीएम मोदी का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत अब व्यवसायिक शिक्षा को छठवीं क्लास से ही प्रारंभ करने का फैसला किया गया है इससे बच्चों में बुनियादी गुण आएंगे।