मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को अंजाम तक पहुँचे अभी लगभग तीन महीने ही हुए हैं और लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो चली है। देश और प्रदेश की राजनीति में यह बात किसी से भी छुपी नहीं है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रंचड जीत का सबसे बड़ा फैक्टर ‘लाड़ली बहना योजना’ रही है। राजनीतिज्ञों का कहना है कि लाड़ली बहना योजना लांच होने से पहले अगर विधानसभा चुनाव होते तो बीजेपी बहुत बुरी तरह से हारती जिसमें इनकंबेंसी एक महत्त्वपूर्ण वजह थी। चुनाव की घोषणा से लेकर वोटिंग के दिन तक भी सारे समीकरण यही कह रहे थे कि कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है जिसमें कांग्रेस बाजी मार लेगी। लेकिन चुनावी परिणाम आने से पहले शिवराज का वो बयान कि ‘कोई कांटे-फांटे की टक्कर नहीं है, लाड़ली बहनों ने सारे कांटे निकाल दिये हैं’ और परिणाम के दिन इस बयान की गूंज प्रदेश ही नहीं पूरे देश में गूंजी।

भाजपा ने मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड जीत हांसिल की। इस चुनाव में शिवराज की सूझ-बूझ और महिलाओं की ताकत का अंदाजा अनेक दिग्गज और कद्दावर नेताओं को करा दिया था। चुनाव में महिलाओं से जुड़ी योजनाएं भी बड़ा फैक्टर थीं तभी कमलनाथ ने ‘नारी सम्मान योजना’ शुरू की थी। वहीं अब शिवराज की इसी तर्ज पर अरविंद केजरीवाल चलते नज़र आ रहे हैं। शिवराज की महिला सशक्तिकरण की रीति-नीति शायद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भा गई है। दरअसल दिल्ली विधानसभा में पेश हुए 2024-25 के बजट में केजरीवाल सरकार ने महिलाओं को हर महीने 1 हज़ार रुपये ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान’ योजना के तहत देने की घोषणा की है जो चुनाव के बाद लागू होगी। वहीं सोशल मीडिया पर ट्रेंड चल रहा है कि केजरीवाल की ये योजना शिवराज की लाड़ली बहना योजना की नकल है। अब सवाल ये है कि क्या अप्रत्यक्ष रूप से विपक्षी दलों को शिवराज की ये योजना पसंद आ रही है और शिवराज की इस पहल को महिला सशक्तिकरण का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है।

कुछ दिनों पहले भी मध्यप्रदेश की एक योजना ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’ भी दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को काफी पसंद आई होगी इसलिए केजरीवाल ने भी इसे शुरू किया। तीर्थ दर्शन योजना को लेकर जब केजरीवाल ने इसे अपनी योजना बताया था तब शिवराज ने केजरीवाल को घेरा था और बयान तक दिया था कि ‘जब आप पार्टी का अस्तित्व भी नहीं था, तब से मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना जारी है’।

बहरहाल, इन सभी कयासों से चर्चा का बाजार गर्म है। इस बात का लोहा तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी माना है और खुले मंच से भी कहा है कि ‘जब-जब लाड़ली बहनों की बात आती है मामा याद आ ही जाते हैं’ इस तरह का इम्पेक्ट शिवराज की लाड़ली बहना योजना ने मध्यप्रदेश की महिलाओं पर डाला है। ये बात और है कि किसी भी नेता की कोई योजना अन्य नेताओं को पसंद आती है तो वो उनके नाम बदलकर अपने राज्या में भी शुरू कर लेते हैं। इस बात में कोई दोहराह नहीं है कि वुमन फैक्टर हर चुनाव में संजीवनी का काम करता है। लाड़ली बहना योजना अभी 10 महीने से ऑनगोइंग है और आगे भी यह चलती रहेगी इसका वायदा सरकार ने किया है।

फिलहाल मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी शिवराज की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी है। आये दिन अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने रहते है। अपने जन्मदिन के दिन उन्होंने विदिशा से चुनावी बिगुल फूंक दिया है। केंद सरकार का उन्हें उनके जन्मदिन से पहले विदिशा लोकसभा से उम्मीदवार बनाना एक ‘बर्थ डे गिफ्ट’ जैसा है। शिवराज यहां से 5 बार सासंद बने हैं और 6वीं बार सांसद बनने के बाद उनकी नई भूमिका क्या रहेगी यह देखना दिलचस्प होगा।

संपादकीय- सोमिल जैन सोमू

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