गोपीनाथ मुंडे का जीवन संघर्ष, साहस और सेवा का संगम था- महाराष्ट्र में बोले CM शिवराज

है समय नदी की धार जिसमें सब बह जाया करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो इतिहास बनाया करते हैं। मुंडे जी अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए ही जीते थे। आज केवल महाराष्ट्र ही नहीं, पूरा देश उन्हें श्रद्धा के साथ नमन करता है। यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज महाराष्ट्र के बीड जिले के परली वैजनाथ में स्व गोपीनाथ मुंडे की 8वीं पुण्यतिथि के अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कही। इस अवसर पर स्व मुंडे की बेटी एवं मध्यप्रदेश भाजपा की सहप्रभारी पंकजा मुंडे, प्रीतम मुंडे सहित भाजपा महाराष्ट्र के जनप्रतिनिधि एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

स्व गोपीनाथ मुंडे जी का जीवन संघर्ष,साहस और सेवा का संगम था

सीएम ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व गोपीनाथ मुंडे को स्मरण करते हुये कहा कि वे भारतीय जनता पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता थे। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचाने का काम स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे जी ने किया। उन्होंने गरीब परिवार में जन्म लिया और गरीबी को महसूस किया और गरीबों के उसी दु:ख दर्द को दूर करने के लिए वे राजनीति में आये और जीवन की अंतिम सांस तक गरीब के कल्याण के लिए कार्य करते रहे। उनका जीवन संघर्ष, साहस और सेवा का त्रिवेणी संगम था। ज्ञान, भक्ति और कर्म का संगम मैंने गोपीनाथ जी में देखा।

आपातकाल का विरोध करने पर 16 महीने जेल में रहे स्व मुंडे जी

सीएम ने कहा कि उन्होंने तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाई और बचपन में ही गोपीनाथ जी ने कह दिया था कि इंदिरा तेरी तानाशाही नहीं चलेगी,आपातकाल का विरोध किया तो उन्हें 16 महीने जेल में रहना पड़ा। इसके बाद अटलजी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ, उसी साल वे महाराष्ट्र के युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनें। जब मुंबई में माफिया और अंडरवर्ल्ड का बोलबाला था, तब मुंडे जी ने पुलिस को उनका सफाया करने के लिए छूट दे दी थी। इसी कारण एनकाउंटर हुए 70 गैंगस्टर मारे गए अंडरवर्ल्ड छोड़ कर भाग गया। यह मुंडे जी का शोर्य था उससे पहले कोई नकेल नहीं डाल पाया था।

मेरा संकल्प था की मप्र में ओबीसी आरक्षण दिलाकर ही चैन की सांस लूंगा

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मैंने संकल्प लिया था कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होंगे। मैंने सोच लिया था, मुझे कोई सहयोग दे, या न दे, मैं तो ओबीसी आरक्षण के लिए लड़ाई लड़ूँगा। संकल्प लिया की ओबीसी को आरक्षण दिलाकर ही चैन की सांस लेना है। मैंने अपना अमेरिका दौरा रद्द किया और ओबीसी आरक्षण दिलाने के लिए दिन रात लग गया। जिस दिन ओबीसी आरक्षण के मामले में हमारे पक्ष में फैसला आया, वह दिन मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन था। मैं किसी भी कीमत पर ओबीसी के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा। कांग्रेस कोर्ट में मामला ले गई, सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में डांट लगाई, लेकिन आज मध्यप्रदेश में पंचायत एवं निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हो रहे हैं।

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