परमात्मा नाम रूप से न्यारा नहीं अपितु उनका नाम और रूप सबसे न्यारा है- ब्रह्मकुमारी हेमा

परमात्मा उन्हें कहेंगे जो सर्व मान्य हों- ब्रह्माकुमारी हेमा
भोपाल। राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी हेमा दीदी ने कहा कि परमात्मा नाम और रूप से न्यारा नही है अपितु उसका नाम और रूप सबसे अलग हटकर अर्थात न्यारा है। सदैव कल्याणकारी होने के फलस्वरूप उनका कर्तव्यवाचक नाम शिव है । अजन्मा और अभोक्ता होने के कारण उन्हें अशरीरी तथा हम शरीरधारियों की भेंट में निराकार कहा जाता है। उनका दिव्य रूप चमकते हुए सितारे के रूप में अतिसूक्ष्म ज्योति बिन्दु स्वरूप है।
ब्रह्माकुमारी हेमा दीदी आज प्रजापिता ब्रह्मïकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित राजयोग अनुभूति शिविर के अन्तर्गत परमात्मानुभूति विषय पर अपने विचार रख रही थीं। उन्होंने कहा कि ज्योति स्वरूप होने के कारण ही परमात्मा को ज्योर्तिलिंग कहते हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग उन्हीं की यादगार हेै। परमात्मा का सत्य परिचय न होने के कारण लोग यहॉं-वहॉं भटक रहे हैं। लोगों की इसी अज्ञानता का फायदा उठाकर मनुष्यों ने स्वयं को भगवान कहलाना प्रारम्भ कर दिया है।
ब्रह्माकुमारी हेमा दीदी ने आगे कहा कि परमात्मा उन्हें कहेंगे जो कि सर्वमान्य हों। जो सर्वोच्च और सर्वज्ञ हों। जो सभी के माता-पिता हों लेकिन उनके कोई माता-पिता न हों। जो अजन्मा और अभोक्ता हो। इस प्रकार किसी शरीरधारी को परमात्मा नहीं कह सकते। सभी धर्मों के लोग कहते हैं कि परमात्मा एक है लेकिन उनके परिचय के बारे में बहुत मतान्तर हैं। उन्होने परमात्मा का परिचय देते हुए बतलाया कि हिन्दु धर्म में परमात्मा शिव की निराकार प्रतिमा सारे विश्व में शिवलिंग के रूप में देखने को मिलती है, ज्योतिस्वरूप होने के कारण उन्हें ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। परमात्मा के इस स्वरूप को सभी धर्म के लोगों ने स्वीकार किया है।
उन्होंने बतलाया कि मुस्लिम धर्म के अनुयायी ईश्वर को नूर-(अर्थात ज्योति)-ए-इलाही कहते हैं। हे अल्लाह तू एक नूर है। इसाई धर्म के अनुयायी परमात्मा को दिव्य ज्योतिपुंज मानते हैं। सिख धर्म के अनुगामी उन्हे एक ओंकार निराकार कहकर उनकी महिमा करते हैं। अगर लोगों को यह सही ज्ञान हो जाए कि शिवलिंग स्वयं परमपिता परमात्मा का प्रतीक चिन्ह है तो इस देश में विभिन्न समुदायों के बीच कभी झगड़ा नहीं होता तथा परमात्मा के बारे में परस्पर वैचारिक भिन्नता नही होती और सभी लोग ईश्वर स्नेही और विश्व कल्याण के कार्य में भागीदार होते।
ब्रह्माकुमारी हेमा दीदी ने बतलाया कि आत्माएं अनेक हैं किन्तु परमात्मा एक हैं। हम अब तक उन्हें बिना यथार्थ परिचय और पता जाने याद करते रहे इसलिए उनकी शक्तियों से हम वंचित रहे। वह सुख, शान्ति, आनन्द और प्रेम के भण्डार हैं। इसलिए उनका सही परिचय जानकर उनके साथ योग लगाने से ही हमारे जीवन में पवित्रता, सुख और शान्ति आएगी।अन्त में उन्होने संगीतमय कमेन्ट्री के द्वारा सभी को राजयोग का व्यावहारिक अभ्यास कराया।