कांग्रेस से आजाद हुए गुलाम नबी आजाद, सोनिया गांधी को 5 पन्नों का लेटर लिखकर सभी पदों से दिया इस्तीफा
दिल्ली। काफी समय से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से नाराज चल रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पन्नों का लेटर लिखकर इस्तीफा भेजा है। इससे पहले 16 अगस्त को वह जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की कैंपेन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
गुलाम नबी आजाद कांग्रेस का बड़ा चेहरा माने जाते रहे हैं। पूर्व में वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता समेत कांग्रेस संगठन के बड़े पदों पर रह चुके हैं। वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के साथ काम कर चुके हैं। जी-23 के सक्रिय सदस्य आजाद लंबे समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं। आजाद का इस्तीफा ऐसे समय हुआ है जब कांग्रेस ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू करने जा रही है और उसे अपने लिए नया अध्यक्ष भी चुनना है। आजाद ने लेटर में लिखा कि संगठन के किसी भी स्तर पर किसी भी स्थान पर चुनाव नहीं हुए हैं। कांग्रेस के चुने हुए लेफ्टिनेंट्स को पार्टी चलाने वाली मंडली द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया है। पार्टी पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करने के लिए नेतृत्व पूरी तरह से जिम्मेदार है।
राहुल गांधी के राज में चापलूसों ने चलाई कांग्रेस: आजाद
गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को लेटर में लिखा: बड़े खेद और बेहद भावुक हृदय के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा शताब्दी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है। कांग्रेस ने पार्टी चलाने वाली मंडली के संरक्षण में इच्छाशक्ति और क्षमता खो दी है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू करने से पहले नेतृत्व को ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ करनी चाहिए थी। राहुल गांधी ने पूरा मैकेनिज्म ही तबाह कर दिया कांग्रेस चलाने का। गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को कांग्रेस में साइडलाइन कर गैर अनुभवी चापलूसों का नया ग्रुप बना जो की पार्टी चलाने लगा।
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की बिगडी स्थिति
गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा लेटर में लिखा कि राहुल गांधी द्वारा नेतृत्व संभाले जाने के बाद, कांग्रेस अपमानजनक ढंग से दो लोकसभा चुनाव हार गई। 2014 से 2022 के बीच 49 विधानसभा के चुनावों में से कांग्रेस 39 में हार गई। पार्टी केवल चार राज्यों के चुनाव जीत पाई और 6 में वह गठबंधन की स्थिति बना पाई। दुर्भाग्यवश, आज कांग्रेस केवल दो राज्यों में सरकार चला रही है।