Fact Check : मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की पटवारी भर्ती का सच ! परीक्षा में कहीं कोई अनियमितता नहीं हुई

मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा आयोजित पटवारी भर्ती परीक्षा विवादों में आ गई है। इस विवाद की सबसे बड़ी बात यह है कि ग्वालियर जिले के एक परीक्षा केंद्र के 7 परीक्षार्थी मेरिट लिस्ट में TOP-10 में है। विपक्ष इसे लेकर सरकार को घेर रहा है वहीं सरकार ने इसके सही आंकड़े जनता के सामने रखे हैं।

बता दें, पटवारी भर्ती को लेकर फेक न्यूज़ फैलाई जा रही है। हम आपको फैक्ट्स के माध्यम से इसका खुलासा करते हैं। पटवारी परीक्षा के लिए 12 लाख 50 हज़ार लोगों ने फॉर्म भरा था लेकिन कुल 9 लाख 78 हज़ार लोगों ने ही एग्जाम दिया जिसमें 8618 परीक्षार्थियों का चयन हुआ। 13 शहरों के 78 सेंटर में कुल 43 दिन ये परीक्षा का क्रम चला। कांग्रेस नेता अरुण यादव ने ट्वीट करते हुए 10 टॉपर में 7 NRI कॉलेज के हैं लेकिन सच ये है कि 7 टॉपर्स में से 6 छात्रा और एक छात्र है वहीं NRI सेंटर से 1000 लोग नहीं बल्कि 114 लोग मेरिट में आये हैं। दूसरी भ्रामक जानकारी ये है कि टॉपर्स को 25 में से 25 अंक मिले हैं जबकि फैक्ट ये है कि किसी को 25 अंक नहीं मिले सबको 13-22 के बीच में नंबर मिले हैं और सभी टॉपर ने अलग अलग पाली में एग्जाम दिया है।

परीक्षा बोर्ड ने एक गाइड लाइन तय की थी जिसका पूरी तरह से पालन हुआ है। परीक्षा में कहीं कोई अनियमितता नहीं है और कहीं कोई लिखित शिकायत अब तक नहीं हुई है विधानसभा सत्र शुरू होने के बाद ही कांग्रेस ने इस मुद्दे को अपने राजनैतिक लाभ के लिए उठाया है। सोशल मीडिया पर पटवारी भर्ती को फैली सभी अफवाहें फर्जी हैं इनमें को भी सत्यता नहीं है….

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1 thought on “Fact Check : मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की पटवारी भर्ती का सच ! परीक्षा में कहीं कोई अनियमितता नहीं हुई

  1. माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी से निवेदन है कि हम राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं उनको आज दिनांक तक स्थाई कर्मी की श्रेणी प्रदान नहीं की गई है जबकि प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों में स्थाई कर्मी श्रेणी प्रदान की गई कर दी गई है अगर मुख्यमंत्री महोदय जी से निवेदन है कि हम दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का इतने कम वेतन में भरण पोषण नहीं हो पा रहा है हम लोगों की स्थाई कर्मी श्रेणी प्रदान करने की कृपा करें विश्वविद्यालय प्रशासन को कई बार लिखित में आवेदन दे चुके हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है

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