आदिवासी वोट साधने की जुगत में कांतिलाल भूरिया को आगे किया कांग्रेस ने
भोपाल- मप्र में भाजपा लगातार आदिवासियों को लेकर जिस प्रकार से योजनाओं का क्रियान्वयन आदिवासी समाज से जुड़े महापुरुषों के नाम को लेकर बड़े-बड़े स्मारक और संस्थानों के नाम पर आदिवासी महापुरुषों का नाम रखना यह बताता है कि भारतीय जनता पार्टी आदिवासियों के सम्मान और उनके इतिहास को संजोकर पेश करना चाहती हैम वहीं अब इसकी नकल करके कांग्रेस पार्टी अब आदिवासी बोर्ड को साधने के लिए कांतिलाल भूरिया का सहारा लेना चाहती है। हालांकि कांतिलाल भूरिया का सहारा कांग्रेस पहले भी ले चुकी है उनको मध्य प्रदेश का अध्यक्ष बनाकर, पर उस समय भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस को करारी हार का शिकार होना पड़ा था। अब कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया को बनाया चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाकर अपनी रणनीति उजागर कर दी हैं। चुनावी विश्लेषणकर्ताओं की माने तो यह जिम्मेदारी देकर कांग्रेस ने भाजपा के आदिवासी एजेंडा को काउंटर करने के लिए भूरिया का नाम आगे रखा हैं। इस घोषणा में कांग्रेस ने प्रदेश चुनाव समिति के अध्यक्ष खुद कमलनाथ होंगे। यानी प्रमुख समिति में कमलनाथ अपना दबदबा कायम रखना चाहते है। मध्य प्रदेश कांग्रेस में एक बहुत बड़ा वर्ग है जो इससे नाखुश दिखाई दे रहा हैं एक कांग्रेस नेता का कहना हैं कि जब भूरिया जी का बेटा यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष हैं तो उनके पिता को आगे करने का क्या फायदा।
मध्य प्रदेश में 22% आदिवासी मतदाता हैं जिसको साधने की कवायद दोनों ही दल करते आ रहे हैं। इसलिए आदिवासी समाज इस बार सबकी निगाहों में चढ़ा हुआ हैं। हालांकि शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों के बीच काफी लोकप्रिय बताए जाते हैं जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिलने वाला हैं।