कोविड से माता-पिता को खो चुके बच्चों से बोले सीएम शिवराज: मध्यप्रदेश में कोई बच्चा अनाथ नहीं रहेगा, हम हमेशा आपके साथ रहेंगे
भोपाल। कोविड-19 से माता पिता को खो चुके बच्चों के साथ सीएम शिवराज ने शुक्रवार को रक्षाबंधन मनाया। उन्होंने बच्चों से कहा कि हम मध्य प्रदेश में अनाथ नाम का शब्द नहीं रहने देंगे, हम हमेशा बच्चों के साथ रहेंगे उनकी पढ़ाई, लिखाई, भोजन का ध्यान रखेंगे। उन्होंने बच्चों को कई महान लोगों की गाथाएं सुना कर जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया । कार्यक्रम में सीएम की पत्नी साधना सिंह भी मौजूद रही।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों से कहा प्यारे भांजे-भांजियों आपका मामा-मामी की तरफ से बहुत-बहुत स्वागत है। अपने मामा शिवराज की यह बात हमेशा ध्यान रखना कि आप कभी भी अकेले नहीं हो सकते, हम सब आपके साथ हैं। आज मैं आप सब बच्चों को कुछ लोगों के बारे में बताना चाहता हूं, जिन्होंने कभी भी किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानी। मिल्खा सिंह दौड़ में कॉमनवेल्थ गेम जीते और एशियाई खेलों में कई मेडल जीते। जब उम्र उनकी 15 साल की थी तब उनके पिता की हत्या हो गई थी। उनका बचपन संघर्षों से भरा था, अगर चाहते तो वह टूट जाते सोचते कि मैं क्या कर सकता हूं लेकिन मिल्खा सिंह ने हार नहीं मानी। वह भारतीय सेना में गए और फिर वहीं खेलों से उन्होंने अपनी नई जिंदगी शुरू की और वह एकमात्र ऐसे एथलीट थे जिन्होंने एशियन गेम्स में पदक जीते और कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने एक नया रिकॉर्ड स्थापित कर स्वर्ण पदक जीता।
हार नहीं माने आगे बढ़ते रहें: सीएम शिवराज
सीएम शिवराज ने बच्चों से कहा स्वामी शिवानंद ने छोटी सी आयु में माता-पिता को खो दिया था। बेहद गरीबी के कारण उन्हें माता-पिता सिर्फ उबले चावल का पानी दे पाते थे लेकिन गुरु ओंकारानंद गोस्वामी उन्हें अपने साथ ले गए। योग और स्कूली शिक्षा सहित कई तरह की व्यवहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा दी और 125 वर्ष के स्वामी शिवानंद को पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अब्राहिम लिंकन एक गरीब परिवार में जन्मे, वह जब 9 साल के थे तब उनकी मां की मृत्यु हो गई। उनके पास पैसे नहीं थे पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत के बल पर 1 दिन अब्राहिम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने।