किसानों के हक का यूरिया डायवर्ट करने पर भडके सीएम शिवराज, अधिकारियों से बोले: एफआईआर करो, किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे

भोपाल। जबलपुर संभाग के जिलों को आवंटित यूरिया के वितरण में अनियमितता पर सीएम शिवराज सिंह चौहान एक्शन मोड में आ गए हैं। शुक्रवार सुबह यूरिया वितरण में अनियमितता की सूचना मिलते ही सीएम ने तत्काल आपात बैठक बुलाकर जबलपुर कलेक्टर, आईजी और कमिश्नर को संबंधित कंपनी पर एफआईआर के निर्देश दिए। सीएम ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसानों के हक का यूरिया बाजार में बेचा जाए।

सीएम शिवराज सिंह चौहान सुबह 7:00 बजे अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों से जुडे। सीएम ने जबलपुर संभाग के कलेक्टर, आईजी और कमिश्नर से कहा मैं पूरी घटना की जानकारी चाहता हूं यह गड़बड़ कैसे हुई, कहां हुई और किसके द्वारा की गई। अधिकारियों से पूछा कि फर्टिलाइजर मूवमेंट कंट्रोल ऑर्डर का वायलेशन करने पर किन-किन धाराओं पर कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं चलेगा कि जरूरत के समय किसानों को यूरिया न मिले और किसान परेशान हो। किसानों के हक का यूरिया डायवर्ट कर अधिक मात्रा में बाजार में सप्लाई करने वाली कंपनी पर सीएम ने अधिकारियों को सख्त से सख्त कार्रवाई करने को कहा ताकि यह कार्रवाई बाकी लोगों के लिए एग्जांपल बने।

2600 मेट्रिक टन यूरिया का रैक मिला था जबलपुर संभाग

26 अगस्त को केंद्र सरकार की मदद से जबलपुर संभाग को 2600 मेट्रिक टन यूरिया मिला है। यहां 7 निजी कंपनियों के माध्यम से यूरिया सप्लाई करवाया जाता है। 70% यूरिया गवर्नमेंट और 30% प्राइवेट संस्थाओं, दुकानों में सप्लाई करने का अनुपात तय है। इसके बावजूद कृभको फर्टिलाइजर कंपनी द्वारा 28 से 31 अगस्त के बीच निर्धारित स्थान के बजाय अधिक मात्रा में यूरिया प्राइवेट संस्थाओं को सप्लाई कर दिया। जबलपुर में रेबल ऑफ कंपनी में 853 मेट्रिक टन यूरिया पहुंचना था जिसमें से केवल 727 पहुंचा, मंडला में 300 मेट्रिक टन यूरिया पहुंचना था जिसमें से केवल 77 मेट्रिक टन यूरिया पहुंचा।

डिंडोरी सिवनी और दमोह को नहीं हुई सप्लाई

डिंडोरी और सिवनी में 100-100 मेट्रिक टन और दमोह में 200 मेट्रिक टन यूरिया पहुंचना था लेकिन वहां यूरिया पहुंचा ही नहीं। कुल मिलाकर 1500 मेट्रिक टन सरकारी संस्थाओं में सप्लाई होना था लेकिन सप्लायर द्वारा केवल 804 मेट्रिक टन यूरिया सरकारी संस्थाओं को दिया गया और बाकी प्राइवेट विक्रेताओं को बेच दिया गया।

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