वर्ष 2030 तक प्रदेश में होगा 50 प्रतिशत ग्रीन ऊर्जा उत्पादन

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि ऊर्जा बचत के लिये लोगों को प्रेरित किया जाये तो प्रदेश में प्रति वर्ष 4 हजार करोड़ रूपये की बिजली के अपव्यय को रोका जा सकता है। मुख्यमंत्री चौहान ने यह आहवान आज नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग के निवास पर नवकरणीय ऊर्जा योजनाओं के प्रस्तुतिकरण कार्यक्रम में कही।

मुख्यमंत्री चौहान ने मंत्री श्री डंग की विभागीय योजनाओं के प्रस्तुतिकरण और उनसे संबंधित शंका एवं समाधान के लिये हुए कार्यक्रम की सराहना की। उन्होंने कहा कि सभी मंत्री भी अपने विभागों से संबंधित इस तरह के कार्यक्रम करें। प्रदेश का किसान अन्नदाता बनने के साथ अब ऊर्जा दाता भी बन रहा है। किसानों के लिये कुसुम-‘अ’,’ब’,’स’ योजना आय के साधन बढ़ाएंगे। कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आयेगी।

मंत्री डंग ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ग्रीन ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश में बहुत तीव्र गति से काम हो रहा है। प्रदेश में वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत ग्रीन ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। देश-विदेश के निवेशक मध्यप्रदेश की ग्रीन ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करने के इच्छुक हैं। विश्व की सबसे बड़ी 600 मेगावाट की ओंकारेश्वर फ्लोटिंग योजना पर काम जारी है। इससे भूमि की बचत होने के साथ, पानी भी भाप बन कर नहीं उड़ेगा।

प्रमुख सचिव ऊर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा संजय दुबे ने विभागीय योजनाओं का प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश जल्दी ही देश का पहला ग्रीन अमोनिया उत्पादक राज्य होगा। प्रदेश में साढ़े 5 हजार मेगावाट ग्रीन ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। पिछले 11 सालों में सोलर ऊर्जा में 54 और पवन ऊर्जा में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे एक करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है, जो 17 करोड़ पेड़ के बराबर है। मध्यप्रदेश में छोटी-बड़ी अनेक परियोजनाएँ आ रही हैं। छतरपुर और मुरैना जिले में सोलर, पवन और बैटरी स्टोरेज जैसे नवाचार किये जायेंगे। इनसे नवकरणीय ऊर्जा के अग्रणी राज्यों में शामिल मध्यप्रदेश जल्दी है शीर्ष स्थान पर पहुँचेगा।

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