बदलते सामाजिक परिवेश के बीच महिलाएं पहले से ज्यादा जागरूक : डॉ लता

  • आठ देशों सहित भारत के 21 राज्यों की योगिनियों को किया सम्मानित
  • योग की नगरी ऋषिकेश में योगिनी अवॉर्ड 2023 का गरिमामय आयोजन

भोपाल। एडुजीलाइफ संस्था भोपाल द्वारा परमार्थ निकेतन ऋषिकेश और परिधि आर्ट ग्रुप के संयुक्त सहयोग से योग की नगरी ऋषिकेश में 11-12 फरवरी को परमार्थ निकेतन आश्रम में अंतरराष्ट्रीय योगिनी अवॉर्ड 2023 का गरिमामयी आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का उद्घाटन स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती, परमार्थ निकेतन, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति डॉ दिनेश चंद्र शास्त्री, फिल्म अभिनेता शिव आर्यन, परिधि आर्ट ग्रुप के संस्थापक श्री निर्मल रतनलाल वैद, इन्डियन स्कूल ऑफ इमेज मैनेजमेंट की फाउंडर सुश्री सोनिया दुबे दीवान द्वारा किया गया। इस अवसर पर 8 देशों की अंतरराष्ट्रीय योगिनी न्यूजीलैंड, केलिफोर्निया, फ्रांस, ब्रिटेन, थाइलैंड, सिंगापुर, इथुयाना और इंडोनेशिया और 21 राज्यों की योगिनियों का सम्मान किया गया। आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए एजुजीलाइफ और विशिप्सा की संस्थापक डॉ. आर. एच. लता ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 के तृतीय सत्र में कहा कि “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” राष्ट्र का समग्र विषय का एक अभिन्न अंग है। भारत के जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान पहचाने गए 16 क्षेत्रों में से एजुजीलाइफ और “विशिप्सा” योग स्वास्थ्य और महिलाओं के नेतृत्व-विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके निमित्त ऋषिकेश में योगिनी अवार्ड सम्मेलन आयोजित किया गया। डॉ लता ने कहा कि एजुजीलाइफ योगिनी अवार्ड्स उन महिलाओं को सम्मानित करने की एक पहल है, जिन्होंने अपना जीवन योग अभ्यास को अपनाने और फैलाने तथा लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए समर्पित कर दिया है। पिछले वर्ष का योगिनी अवार्ड 11 दिसंबर 2021 को तीन मूर्ति भवन में हुआथा। यह एक बड़ी सफलता थी जहां हमने 27 राज्यों की महिलाओं को योगिनी पुरस्कारों की पांच श्रेणियों को मान्यता दी और सम्मानित किया।
हमें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि इस वर्ष एजुजीलाइफ “योगिनी अवार्ड्स अंतर्राष्ट्रीय” हो गया है, जहाँ दुनिया भर से कई योगिनियों की भागीदारी आई और उन्हें पुरस्कृत किया गया। उन्होंने कहा कि योगिनी पुरस्कार निःशुल्क है और केवल योग्य योगिनी को उनके कौशल और अनुभव के माध्यम से सम्मानित किया जाता है, जिसे हमारे सम्मानित जूरी द्वारा चुना जाता है। हम परमार्थ निकेतन और आश्रम को इस नेक काम में सहयोगी के रूप में उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं।

हर क्षेत्र में बढ़ी महिलाओं की भागीदारी :

इस अवसर पर उपस्थितों को संबोधित करते हुए डॉ लता ने कहा कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में अहम भूमिका निभाती हैं। बदलते सामाजिक परिवेश के बीच आज महिलाएं पहले से ज्यादा जागरूक हैं, फिर चाहे बात उनके भविष्य की हो या किसी कार्यक्षेत्र की। अब महिलाओं की भूमिका उनकी पारंपरिक घरेलू महिलाओं, माँ और बेटी से आगे बढ़ गई है। महिलाएं घरों से बाहर निकलकर सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक जगत में लिए जाने वाले फैसलों में बराबर की भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारियों को निभाने के लिए महिलाओं को अच्छे स्वास्थ्य, मन की शांति और संतुलित जीवन की आवश्यकता होती है, जिसे योग के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। डॉ लता ने कहा कि महिलाओं के लिए योग के महत्व की बात करें तो किशोरावस्था से लेकर मातृत्व तक, रजोनिवृत्ति से लेकर वृद्धावस्था तक महिलाएं कई चरणों से गुजरती हैं जिनमें योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महिलाओं में शारीरिक बदलाव आने के बाद उन्हें मानसिक परेशानी और असंतुलन का अनुभव होता है। ऐसे में योग उनके शारीरिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है और उन्हें मानसिक शांति प्रदान करता है। नियमित योग आसन और प्राणायाम महिलाओं के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं और आने वाली समस्याओं और परिवर्तनों से निपटने में बहुत प्रभावी होते हैं। योग में लक्ष्य निर्धारण, मन पर नियंत्रण, धैर्य, संयम, आत्मविश्वास और शारीरिक शक्ति जैसे गुण होते हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों के शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए योग को देश-विदेश में अपनाने पर जोर दिया और संयुक्त राष्ट्र में इसके महत्व को स्थापित किया।

जी-20 की अध्यक्षता भारत के लिए ऐतिहासिक :

आदि शक्ति आदि योगी की अनंत चेतना को नमन करते हुए डॉ लता ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि भारत ने जी-20 की पहली बार अध्यक्षता ग्रहण की । लोकतंत्र और बहुपक्षवाद के लिए गहराई से प्रतिबद्ध भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता उसके इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण होगा, क्योंकि यह एक आवश्यक महती भूमिका है। डॉ लता ने कहा कि सभी की भलाई के लिए व्यावहारिक वैश्विक समाधान खोजने और ऐसा करने में, ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या ‘विश्व एक परिवार है’ की सच्ची भावना हमारा राष्ट्र ही प्रकट करता है।

स्वामी चिदानंद सरस्वती के सानिध्य में गंगा आरती :

संध्या आरती के समय स्वामी चिदानंद सरस्वती के सानिध्य में गंगा आरती की गई। इस दौरान उन्होंने विशेष रूप से एडुजीलाइफ संस्था भोपाल के कार्यों की जमकर सराहना करते हुए मातृशक्ति को और सशक्त करने के लिए इस मुहिम को हर वर्ष परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वावधान में करने का आह्वान किया।

योगिनी अवार्डी ने अपने रीसर्च पेपर प्रस्तुत किए :

समारोह के अगले दिन 12 फरवरी को कांफ्रेंस का उद्घाटन देवप्रयाग उत्तराखंड के विधायक विनोद खंडारी द्वारा किया गया। विधायक श्री खंडारी ने भी योगिनी अवार्ड की प्रशंसा करते हुए इस कार्यक्रम को नियमित देव भूमि पर ही करने का आह्वान किया।
कांफ्रेंस में भारत के विभिन्न राज्यों से आई हुई योगिनी अवार्डी ने अपने रीसर्च पेपर प्रस्तुत किए।
समापन समारोह बहुत ही सुन्दर और अद्भुत रहा, जहां पांच वर्षीय बालिका वान्या शर्मा ने और 75 वर्षीय डा भगवती दधीच मुंबई ने योग प्रस्तुति के साथ किया गया।

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