व्यक्ति जैसा सोचता और करता है, वैसा ही बन जाता है- मुख्यमंत्री शिवराज

भोपाल में आयोजित 8वें भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF)-2022 कार्यक्रम का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दीप प्रज्वलित करके शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री शिवराज ने अपने संबोधन में कहा कि मैं केन्द्रीय मंत्री श्री जीतेंद्र सिंह जी का मध्यप्रदेश में स्वागत करता हूँ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की सोच ही वैज्ञानिक है। साइंटिफिक सोच भारत की जड़ों में है। आज से हजारों साल से पहले से भी भारत प्रौद्योगिकी में बहुत आगे है।

जब कोविड का कठिन काल आया, तो हमने कल्पना भी नहीं की थी कि हमारी स्वदेशी वैक्सीन बन जाएगी। वैज्ञानिक पहले भी थे लेकिन सशक्त लीडरशिप नहीं थी। हमारे वैज्ञानिकों ने दो वैक्सीन बना दी और विदेशों में भी भेजी गईं। 200 करोड़ से ज्यादा डोज लगाए जा चुके हैं।

एक जमाना था जब भारत के उपग्रह कोई और लॉन्च करता था, आज हम न सिर्फ अपने बल्कि अन्य देशों के उपग्रह भी लॉन्च कर रहे हैं।

विज्ञान को टेक्नोलॉजी की जननी माना जाता है। लेकिन उससे भी आगे कुछ है तो वो है जिज्ञासा।

जिज्ञासा से ही इनोवेशन होते हैं और अनुसंधान होते हैं। जब न्यूटन के सामने पेड़ से सेब जमीन पर गिरा, तब उनकी जिज्ञासा के कारण ही गुरुत्वाकर्षण का पता लग पाया।

अलग-अलग रसायनों को मिलाकर कोई नया रसायन बनाना जिज्ञासा ही है।

जिज्ञासा ही मानव को चांद पर लेकर गई। जिज्ञासा के कारण हम मंगल ग्रह तक पहुँचे।

पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एक गौरवशाली, वैभवशाली, शक्तिशाली, समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण हो रहा है। उनकी सोच भी साइंटिफिक है।

एक तरफ हमने योग, ध्यान, प्राणायाम और समाधि के जरिए ब्रह्मांड के सत्य को खोजने की कोशिश की। विमान की कल्पना हजारों साल पहले से ही भारत में थी।

भारत के खगोल विज्ञानी भास्कराचार्य ने न्यूटन से सदियों पहले साबित किया था कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को एक विशेष शक्ति के साथ अपनी ओर आकर्षित करती है।

ईसा से 600 साल पहले तक्षशिला और बनारस औषध विज्ञान के बड़े केंद्र बनकर उभरे थे।

कोई ये न समझे कि हमने विज्ञान पश्चिम से लिया है।

नवग्रह हमारे लिए कोई नए नहीं हैं, हमारे ऋषि इनके बारे में सालों पहले से जानते हैं।

आज जिम्मेदारी के साथ यह कहता हूँ कि धर्म और विज्ञान एक दूसरे को काटते नहीं हैं, बल्कि समर्थन करते हैं।

विज्ञान और आध्यात्म के इंटरकनेक्शन को हमने समझा है।

महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा कि हम प्राचीन भारतीयों के बहुत एहसानमंद हैं जिन्होंने हमें गिनना सिखाया है।

हमने अपनी विज्ञान प्रोद्योगिकी और नवाचार की नीति बनाई है।

नई स्टार्टअप नीति हमने बनाई है। अगर आपके पास इनोवेटिव आइडिया हैं, तो आपको निराश नहीं होने दूंगा। एक साल में मध्यप्रदेश में 2,600 स्टार्टअप बने हैं। छोटे कस्बों से भी प्रतिभाशाली बच्चे निकल रहे हैं। इस सोच और विचार को रुकने मत दो।

इंदौर में हम स्टार्टअप पार्क बना रहे हैं, जरूरत पड़ी, तो भोपाल और ग्वालियर में भी बनाएंगे। हम वेंचर कैपिटल फंड बनाएंगे।

व्यक्ति जैसा सोचता और करता है, वैसा ही बन जाता है। अगर आप कुछ सोचोगे ही नहीं, तो मुंह पर बैठी मक्खी भी उड़ाने किसी और को आना पड़ेगा।

इस उत्साह के साथ इस साइंस फेस्टिवल में आप लोग भाग लें।

मैं प्रधानमंत्री जी और केन्द्रीय मंत्री श्री जीतेंद्र सिंह जी को मध्यप्रदेश में साइंस फेस्टिवल आयोजित करने के लिए धन्यवाद देता हूँ।

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