77 अभ्यर्थियों ने लगाए फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र, FIR होगी

भोपाल- संविदा शिक्षक बनने के लिए मुरैना जिले में फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर 77 अभ्यर्थियों ने दिव्यांगजन कोटे का लाभ लेने का प्रयास किया है। दस्तावेजों के परीक्षण में मामला पकड़ में आ गया।

अब स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने संबंधितों के खिलाफ एफआइआर कराने के निर्देश दिए हैं। इनमें एक ऐसा भी शिक्षक है, जो बगैर दिव्यांगता प्रमाण पत्र के चयन की पात्रता रखता था। राज्यमंत्री ने प्रदेश के उन जिलों में भी जांच कराने को कहा है, जहां दिव्यांगता कोटे में अधिक आवेदन आए हैं।

सरकार 18 हजार संविदा शिक्षकों की भर्ती कर रही है, इनमें एक हजार 86 पद दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित हैं। इनमें से पूरे प्रदेश में 755 पदों पर दिव्यांगजनों का चयन हुआ है। इनमें से भी 450 दिव्यांगजन मुरैना से हैं। एक जिले में इतने दिव्यांगजन होने पर फर्जीवाड़े का संदेह जताया गया था।

मामला मीडिया में आया, तो आयुक्त निशक्तजन कल्याण ने आयुक्त लोक शिक्षण और आयुक्त जनजातीय कार्य को पत्र लिखकर जानकारी मांगी थी। जब आयुक्त लोक शिक्षण ने संबंधित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच कराई, तो पता चला कि 77 अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाण पत्र लगाए हैं।

ये प्रमाण पत्र मुरैना जिला अस्पताल से जारी होना बताया गया, पर जांच में अस्पताल के रिकार्ड में नहीं पाए गए। आशंका जताई जा रही है कि फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाला गिरोह सक्रिय है। जिसने अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए हैं।

स्कूल शिक्षा में 60 शिक्षक

फर्जी प्रमाण पत्र से 60 अभ्यर्थी स्कूल शिक्षा और 17 जनजातीय कार्य विभाग में नियुक्ति पाना चाहते थे। मामला सामने आने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने जनजातीय कार्य विभाग को फर्जी प्रमाण पत्र लगाने वाले अभ्यर्थियों की जानकारी दी है।

दो साल की जेल का प्रविधान

आयुक्त निश्शक्तजन कल्याण बताते हैं कि दिव्यांगजन अधिनियम-2016 के अनुसार कपटपूर्वक कोई दिव्यांगजन के लिए मिलने वाले लाभ लेता है या लेने का प्रयास करता है, तो वह दंडनीय है। ऐसे मामले में दो वर्ष तक का कारावास या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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