मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुंडलपुर में भगवान आदिनाथ पंचकल्याणक महोत्सव में शामिल हुए थे। वहां उंन्होंने बड़े बाबा के मंदिर में सपत्नीक पूजा अर्चना कर भगवान आदिनाथ से प्रदेशवासियों की सुख समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना की थी। वहीं, मुख्यमंत्री ने संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मुनि सुधासागर ने अपने उद्बोधन में कहा था कि शिवराज का साहस, साहस है।
क्यों कहा ऐसा
CM शिवराज अपने संबोधन के बाद जनता के बीच जाकर बैठ गए। इसके बाद मुनि सुधासागर महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि -आचार्य महाराज जिन्होंने राष्ट्र को समाज को एक ऐसी चेतना दी है, ऐसा रूप दिया जिस रूप को आप देख रहे हैं भगवान का रूप। आपने सारी बातें बता ही दी कि बड़े बाबा का मंदिर में भगवान को जब उठना था तो आप भी यहां थे और आपने जो कुछ किया वह खुद आपने बताया और आपके इस साहस को कई बार आचार्य कहते हैं कि शिवराज का साहस…साहस था। आचार्य महाराज की इच्छा शक्ति आचार्य महाराज का शोध भगवान बड़े बाबा को स्थानांतरित नहीं किया। भगवान बड़े बाबा को उच्च आसन नहीं दिया बल्कि सारे राष्ट्र को ऊंचा उठाया है और इसका सबसे बड़ा चमत्कार देखिए।
आपका पुनः मुख्यमंत्री बनना बड़े बाबा का चमत्कार है
मुनि सुधासागर महाराज ने आगे कहा कि बुंदेलखंड में कहावत है बिल्ली के भाग्य से छींका टूट जाता है, जनता ने आपको देश की गद्दी से हटा दिया था लेकिन बड़े बाबा ने आपको बीच में बुला लिया। देखो बड़े आचार्य गुरुवर का चमत्कार जिनके अथक परिश्रम, मेहनत और सेवा भावना समर्पण से बाबा उच्च आसन पर बैठे थे। आज बड़े बाबा के उत्सव पर उनको किसी भी तरीके से सही, सरकार को बीच में कैसे भी प्रस्ताव लाकर के सही लेकिन पुनः उन्हीं को जिन्होंने सच्चे मन से बड़े बाबा को समर्पण किया था उन्हें पुनः मुख्यमंत्री बना कर आज यहां गुरुदेव के चरणों में बैठे हैं। आचार्य महाराज के सोच विचार को सारा राष्ट्र स्वीकार कर ले तो आपको यह धार्मिक शक्ति के साथ-साथ एक उद्देश्य के बहुत बड़े राष्ट्रीय सर्वोपरि नेता के रूप में छवि मिलेगी।