उदयपुर : बनाने वालों से लेकर बिगाड़ने वालों तक की कहानी, धन्य धरोहर

भारत को अगर जानना है तो वहां के मंदिरों को देखिए, वहां समय बिताइए। आपको इनमें ही असल भारत के दर्शन करने को मिल जाएंगे।कितने ही हजारों वर्षों पूर्व पत्थरों पर कहानियां हमारे पूर्वजों द्वारा लिख दी गयी हैं। बस उन्हें पढ़ने महज की देरी है। एक अलग ही समृद्ध भारत इनमें हमें दिखाई देता है। सोने की चिड़िया हमारे देश में हजारों की संख्या में ऐसे मंदिर हैं जिनके बारे में हमें बिल्कुल भी जानकारी नहीं। वे मंदिर अपने आप में अनोखा भारत संजोए हुए हैं।

मंदिर अब भी खड़े हुए हैं। कईयों की स्तिथि तो अंत की ओर है फिर भी अपनी जीर्ण शीर्ण अवस्था में सीना ताने हुए भारत के गौरवशाली इतिहास का परिचय दे रहे हैं। जरा सोचिए अगर वो पूरे रहे होते तो क्या ही नजारा और सीख हमें उनसे मिलती। लेकिन क्या ही कहें, कई आक्रांताओं व मूर्खों को यह बेहतर चीजें खटकती थीं। तभी मंदिरों के विध्वंश को उन्होंने अपनी प्राथमिकता में रखा। खैर करते भी क्या उन ओर खुदका कुछ था ही नहीं। इसलिए हमारे वैभव को ही नष्ट करके अपनी कहानियां उन पर लिखने की चोटी सोच पर कार्य करते चले। जिन मंदिरों व धार्मिक स्थलों के निर्माण में कारीगरों व शिल्पकारों ने अनेक दशकों तक अपनी मेहनत झोंकी। उन्हें मूर्ख आक्रांताओं ने नष्ट करने के लिए एड़ी-चोटी की दम लगा दी। कितने की मंदिरों को उन्होंने नष्ट किये, जिनके नाम तक नहीं बचे। फिर भी कुक बचे हुए मंदिर आज अपने और हमारे देश के समृद्ध होने की गवाही दे रहे हैं।

मंदिरों को बनाने वालों ने भारत के पुरातत्व वैभव को दिखाने के लिए जीवन भर मेहनत की। तो वहीं छोटी मानसिकता वालों ने इसे नष्ट करने के लिए अपनी दम लगाई। खैर यह बात अलग है कि मिटाने वाले मिटाते-मिटाते खुद मिट गए पर सब कुछ समाप्त न कर पाए। और बनाने वाले आज भी अमर हैं भारत के मंदिरों में। असल भारत दर्शन की यात्रा में मंदिरों की भूमिका उतनी ही प्रासंगिक है। जितनी कि जीवन जीने के लिए सांस की।

✍️ सौरभ तामेश्वरी

फोटो- उदयपुर मंदिर प्रांगण।

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