MP के एक गांव की अजब-गजब कहानी, जहाँ प्रचलित हैं अजीबोगरीब मान्यताएं
मध्य प्रदेश के रतलाम में एक ऐसा गजब गांव है जहां घरो की रंगाई-पुताई की मनाही है। सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन ये सच है। ना ही इस गांव में लोग पानी छानकर पीते हैं, ना की कोई शख्स यहां काले रंग की वस्तु का उपयोग करता है, ना ही कोई दूल्हा उस मंदिर के सामने से घोड़ी पर चढ़कर निकल सकता है, जिसके सम्मान में ये सारे अंधविश्वासों का लोग पालन करते हैं।
ये बातें भले ही किसी फिल्म की कहानी या पुरानी मान्यताओं के समान लगती है, लेकिन मध्य प्रदेश का एक गांव ऐसा भी है जहां ये रिवाज, परम्पराएं आज के हाइटेक ज़माने में भी बदस्तूर जारी हैं। रतलाम के आलोट ब्लॉक के “कछालिया” गांव की जहां मौजूदा धार्मिक मान्यताएं सोचने पर मजबूर कर देती है कि यहां “कुछ तो है” जो साइंस की दुनिया से परे है, ना इस गांव में काले जूते कोई पहनता है और ना ही काले मोज़े.
एक नजर में गांव और इसकी मान्यताएं-
- 1400 लोग 200 से ज्यादा मकान
- इस गांव में घरो की रंगाई-पुताई की मनाही है
- ना ही घर की छत कवेलू से बनी है
- ना ही इस गांव के लोग पानी छानकर पीते है
- ना ही कोई शक्स यहां काले रंग की वस्तु का उपयोग करता है
- ना ही कोई दूल्हा उस मंदिर के सामने से घोड़ी पर चढ़कर निकल सकता है
- ना ही कोई शवयात्रा उस मंदिर के सामने से निकल सकती है
ये है मान्यता
मान्यता है की जो भी शख्स गांव के इन नियमो का पालन नही करता, उसके साथ कुछ अनहोनी हो जाती है. प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार, एक व्यक्ति अपने घर की छत कवेलू से बना रहा था उसी वक्त उसके 20 साल के लड़के की छत से गिरकर मौत हो गई। कहा जाता है की दिवाली पर भी किसी भी घर के आगे रंगोली तक नही डाली जाती है।
मंदिर के पुजारी ने सुनाई ये कहानी
मंदिर के पुजारी भी बताते हैं कि कछालिया गांव में सदियों से यह परम्परा चली आ रही है. उनके गांव का हर रहने वाला इन बातो का विशेष ध्यान रखता है। एक बार एक दूल्हा घोड़ी चढ़कर निकला और एक युवक ने काले कपडे क्या पहने उन पर मुसीबतो का पहाड़ टूट पड़ा।