वित्तीय अनियमित्ता कर कमाए धन का धर्मांतरण में हो रहा था उपयोग! शिवराज ने दिए जांच के निर्देश
भोपाल। जबलपुर के बोर्ड ऑफ एजुकेशन ऑफ नॉर्थ इंडिया के चेयरमैन के घर से करोड़ों रुपए नकदी और वित्तीय अनियमितता के दस्तावेज मिलने पर जांच और तेज की जा रही है। अंदेशा जताया जा रहा है कि वित्तीय अनियमितता कर कमाए गए पैसों को धर्मांतरण और गैर कानूनी कार्य में खर्च किया गया था। सीएम शिवराज ने फैसला किया है कि अब ईओडब्ल्यू के साथ ही जिला प्रशासन भी पूरे मामले की जांच करेगा।
मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत के आधार पर 8 सितंबर को ईओडब्ल्यू ने जबलपुर स्थित बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के चेयरमैन, बिशप के निवास पर छापा मारा था। वहां जांच में भारी संख्या में गड़बड़ियां और धोखाधड़ी सामने आई है इसलिए राज्य शासन ने तय किया है कि इस पूरे छापेमारी में प्राप्त दस्तावेज और धन का उपयोग कहीं गैरकानूनी कामों में तो नहीं किया जा रहा है इसकी जांच करवाई जाएगी। धर्मांतरण और अन्य गैरकानूनी काम इस ट्रस्ट के माध्यम से तो नहीं किए जा रहे थे इसकी जांच ईओडब्ल्यू करेगा और जांच में जिला प्रशासन की भी अपनी भूमिका होगी।
लीज नियमों के उल्लंघन पर जांच कर होगी कार्रवाई
सीएम शिवराज ने बताया कि कई शिकायतें मिली हैं जिसमें ट्रस्ट की संस्थाओं ने लीज संबंधी प्रकरण में धोखाधड़ी कर टैक्स नहीं चुकाया या नाम परिवर्तित कर दुरुपयोग किया। स्टांप ड्यूटी या लीज के नवीनीकरण में धांधली की शिकायतें आई हैं मामले को हम ईओडब्ल्यू को सौंप रहे हैं। पूरे प्रदेश में जिला प्रशासन भी इसकी जांच करेगा। प्रदेशभर से ऐसी शिकायतें आ रही कि जिस उद्देश्य के लिए जमीन आवंटित की गई थी उसके बजाय कई स्थानों पर इसका व्यावसायिक उपयोग हो रहा है, इसलिए इसकी जांच भी पूरे प्रदेश में होगी। जिस उद्देश्य के लिए जमीन दी गई थी उसके अलावा दूसरे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जमीन का उपयोग कैसे किया गया इसको राज्य शासन गंभीरता से ले रहा है।
नोट गिनने के लिए बुलाई गई थी मशीन
छापे में ट्रस्ट की संस्थाओं के लीज रिन्यूअल में धोखाधड़ी, टैक्स न चुकाया जाने, 17 संपत्तियों के दस्तावेज, 48 बैंक खाते समेत 1 करोड़ 65 लाख की नगद राशि, जिसमें 18342 यूएस डॉलर,118 पौंड और 8 चार पहिया वाहन भी बरामद हुए। वहीं इतनी भारी मात्रा में नगदी मिलने पर उसकी गिनती के लिए ईओडब्ल्यू की टीम को मशीन बुलानी पड़ी थी।