CM शिवराज ने किया ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन’ योजना का शुभारंभ, काशी जाने वाली ट्रेन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का पुनः शुभारंभ किया। बता दें, पुनः प्रारम्भ हो रही मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना के अंतर्गत काशी विश्वनाथ कर लिए रवाना होने वाली तीर्थयात्री ट्रेन को भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

योजना के शुभारंभ पर सीएम ने कहा कि आज वह शुभ दिन फिर आ गया है । आज से फिर तीर्थ दर्शन योजना शुरू हो रही है। अब ये ट्रेने रुकेंगी नहीं एक के बाद एक ट्रेने बुजुर्गों के लिए जाती रहेंगी, आपको तीर्थ दर्शन कराती रहेंगी। कई प्रभावशाली दादा, गुंडों द्वारा बड़ी-बड़ी जमीनें इधर उधर हथिया ली, तो हमने इन जमीन पर बुलडोजर चला जमीन मुक्त कर गरीबों में बांटना तय किया, ये पुण्य का काम होगा। सीएम ने आगे कहा कि भोपाल में भी कई बड़ी कार्रवाई कर 350 करोड़ रुपए की जमीन छुड़ा ली। ये लोग बाहुबल के आधार पर कब्ज़ा कर लेते थे, उनसे वापस लेकर गरीबों का भला करना है। गरीबों के मकान और बाकी व्यवस्थाएँ करेंगे।

तीर्थ यात्रियों का स्वागत होगा- सीएम

सीएम ने यात्रियों का स्वागत करते हुए कहा कि हम मेजबान हैं मेहमान नहीं हैं इसलिए हम अपना स्वागत क्यों करवाएं। आज तो हमारे तीर्थ दर्शन पर जाने वाले मेरे माताओं का मेरे बुजुर्गों का, काकाओं का, दादाओं का आपका स्वागत होगा। नेताओं का स्वागत नहीं होगा न मुख्यमंत्री का होगा बल्कि तीर्थ यात्रियों का स्वागत होगा। हम तो आपके चेहरे की प्रसंता देखकर ही धन्य हो गए।

सीएम ने बताया नशा कैसे छुड़वाया जाए

सीएम ने बुजुर्गो को नशा छुड़वाने की तरकीब बताते हुए कहा कि गांव में आकर कहना कि दारू मत पियो, नशा मत करो। अब तीर्थ यात्रा करके आओगे तो आपका कद बढ़ जाएगा। आप समझाने की भूमिका में रहोगे। दर्शन का आनंद भी बताना और कहना, “नशा छोड़ दो, नशा नाश की जड़ है।” यह नुकसान के सिवाय कुछ नहीं करता तो अपना नशा मुक्ति का काम होने लगेगा।

बेटी बोझ नहीं, वरदान है

सीएम शिवराज का एक भी भाषण ऐसा नहीं जाता जिसमें वो बेटियों के हित की बात ना करें। सीएम ने फिर कहा कि मेरा सबसे कहना है कि जितना बेटों को मानते हो, उतना बेटियों को भी मानो। बेटियों के बिना दुनिया नहीं चल सकती । किसी के घर अगर बेटी पैदा हुई तो कहो रे ढोल बजाओ, भजन करवाओ बेटी आई है, लक्ष्मी आई है। बेटी को बोझ नहीं, बेटी वरदान बनने लगे। ये कोशिश भी हम करें।

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