MP : कांग्रेस में गुटबाजी एक बार फिर चरम पर, पार्टी की बड़ी बैठक में नहीं पहुंचे दिग्गी-अरुण यादव

एमपी कांग्रेस में चल रही गुटबाजी एक बार फिर तब खुलकर सामने आई जब कमलनाथ की अध्यक्षता में आज होने वाली कांग्रेस जिलाध्यक्ष की बैठक से बड़े नेताओं ने दूरी बना ली। जी हां ! और इन बड़े नेताओं में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव शामिल हैं।

फिर क्यों लगी थीं दिग्विजय सिंह और अरुण यादव के नाम की कुर्सियां

अब गौर करने वाली बात यह है कि जब दोनों नेता शादी में जा रहे थे तो दिग्विजय सिंह और अरुण यादव के नाम की कुर्सियां मंच पर क्यों लगी हुई थी। अब सवाल ये उठता है कि अगर हाईकमान को इस बात की जानकारी थी कि दोनों नेता बैठक में शामिल नहीं होने वाले हैं तो फिर उनके नाम की कुर्सियां मंच पर क्यों लगाई गईं। इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।

कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है

बता दें, कि अरुण यादव की खंडवा लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में दावेदारी होने के बाद भी उनको टिकट नहीं मिला था। और आखिरकार उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली थी। परिणाम में खंडवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आई थी।

जब कमलनाथ को धरना प्रदर्शन की खबर तक नहीं थी

कुछ दिन पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज से मिलने का समय मांगा था, लेकिन समय मिलने के बाद भी दिग्गी ने धरना प्रदर्शन किया। ताज्जुब की बात यह है कि इसकी खबर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को नहीं थी। जब कमलनाथ छिंदवाड़ा से भोपाल पहुंचे और धरना स्थल पर गए तब उन्होंने मीडिया में खुद कहा जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है कि मुझे इस धरने की कोई खबर नहीं थी अब इससे साफ जाहिर कि कांग्रेस की गाड़ी गर्त की ओर जा रही है।

क्या बोले थे कमलनाथ

दिग्विजय सिंह और अरुण यादव के बैठक में शामिल नहीं होने पर कमलनाथ कमलनाथ ने कहा था कि दोनों नेता निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा के यहां शादी समारोह में शामिल होने गए है। इसलिए बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे।

पार्टी पहली प्राथमिकता होना चाहिए- सज्जन सिंह वर्मा

वहीं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा से जब मीडिया ने इस बारे में पूछा तो सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि मेरा मानना है पार्टी पहली प्राथमिकता होना चाहिए। हालांकि सबकी अपनी-अपनी प्राथमिकता होती है। दोनों नेताओं ने दिल्ली में पहले ही बैठक को लेकर पक्ष रख दिया है। बैठक में शामिल नहीं होने का मतलब कुछ और नहीं निकालना चाहिए।

यह कोई पहली बार नहीं है, जब दोनों नेताओं ने दूरी बनाई है। इससे पहले कांग्रेस के घर-घर अभियान से भी दोनों नेताओं ने दूरी बनाई थी।अब इस वाकये के बाद कांग्रेस फिर एक बार बिखरी हुई नजर आ रही है।

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