CM मोहन यादव ने मुख्यमंत्री निवास पर किया विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का लोकार्पण, कहा- समय की गणना सूर्योदय से सूर्योदय तक होनी चाहिए।

भोपाल- मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को मुख्यमंत्री निवास के नए प्रवेश द्वार पर लगाई गई विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण किया। साथ ही सीएम ने विक्रमादित्य वैदिक घड़ी से संबंधित मोबाइल ऐप का भी लोकार्पण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि, हमारे सभी त्योहार अंग्रेजी तिथियों के अनुसार नहीं मनाए जाते, बल्कि वे तिथियों और छह ऋतुओं पर आधारित होते हैं। इसी प्रकार, वर्ष की गणना भी वैदिक परंपरा के अनुरूप की जाती है। इसलिए, समय की गणना सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक होनी चाहिए।

CM ने दिया वैदिक समय की ओर लौटने का संदेश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि रात 12 बजे दिन बदलने की परंपरा का कोई तर्कसंगत औचित्य नहीं है। हमारी प्राचीन समय गणना पद्धति में 60 सेकेंड का एक मिनट नहीं, बल्कि 30 घंटे में 30 मुहूर्त माने गए हैं। यह कोई कठोर नियम नहीं, बल्कि हमारी सनातन संस्कृति की विरासत है और इस पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, प्राचीन काल में खगोल विज्ञान की समझ सूर्य की छाया के माध्यम से विकसित की जाती थी। उस समय भारत का केंद्र बिंदु उज्जैन को माना गया था, लेकिन समय के साथ यह बिंदु बदलता गया और करीब 32 किलोमीटर दूर डोंगला तक पहुंच गया। उन्होंने बताया कि, भगवान श्रीकृष्ण भी समय की सटीक गणना के केंद्र की खोज में डोंगला के पास स्थित नारायणा गांव पहुंचे थे, जहां बलराम और सुदामा भी उनके साथ थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की आधुनिक तकनीक और कंप्यूटर भी यह गणना करने में सक्षम नहीं हैं कि, 10 हजार साल पहले सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण कब लगे थे, लेकिन हमारी वैदिक काल गणना प्रणाली ऐसे प्रश्नों का तुरंत और सटीक उत्तर देने में सक्षम है। उन्होंने ये भी कहा कि, सावन में छाता लेकर चलने की परंपरा कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि अनुभवजन्य वैदिक गणना का ही परिणाम है। प्राचीन समय में ग्रह, नक्षत्र और तिथियों के आधार पर ही जीवन से जुड़े सभी निर्णय लिए जाते थे। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, हमने विधानसभा में भी ऐसा ही प्रयास किया है।
मोदी जी ने योग को वैश्विक मंच पर पुनर्स्थापित किया
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्यक्रम में कहा कि अब समय पूर्व का है, पश्चिम का समय अब बीत चुका है। यह भारत की अच्छाइयों को दुनिया के सामने रखने का सही समय है। उन्होंने कहा कि साल 2014 में सरकार बनने के महज छह महीनों के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को वैश्विक मंच पर पुनर्स्थापित किया, जो भारत के ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। सीएम ने कहा कि भारत का ज्ञान और कौशल केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के कल्याण के लिए है। उन्होंने विक्रमादित्य वैदिक घड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह घड़ी भारत की सांस्कृतिक हलचल और समयबोध को दुनिया के सामने ला रही है। उन्होंने कहा कि भले ही हर देश की गति अलग हो, लेकिन हमारी ज्ञानगंगा की धारा निरंतर आगे बहती रहे, यही हमारा संकल्प है। मुख्यमंत्री ने सभी से अपील की कि वे इस घड़ी का अधिकतम उपयोग करें और उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि, मोबाइल ऊपर करके क्यूआर कोड स्कैन करके घड़ी डाउनलोड करें।
भारत की प्राचीन काल गणना पर आधारित विश्व की पहली घड़ी
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी भारतीय काल गणना पर आधारित विश्व की पहली घड़ी है। इस सर्वाधिक विश्वसनीय भारतीय काल गणना पद्धति का पुनर्स्थापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 29 फरवरी 2024 को उज्जैन में किया गया था। इस पहल को देश और दुनिया भर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। वहीं मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री निवास पहला ऐसा स्थान होगा, जहां भारतीय काल गणना पर आधारित दुनिया की पहली विक्रमादित्य वैदिक घड़ी स्थापित की गई है। इस घड़ी के अनुसार, सूर्योदय पर समय शून्य बजे शुरू हुआ और सूर्यास्त पर 15 बजे समाप्त होगा। वैदिक घड़ी के लिए तैयार किए गए मोबाइल ऐप में 189 भाषाओं में पंचांग देखा जा सकता है। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल, मंत्री कृष्णा गौर, मंत्री विश्वास सारंग, विधायक रामेश्वर शर्मा और विष्णु खत्री भी मौजूद थे।