पहलगाम हमले के 97 दिन बाद भारतीय सेना ने किया हमले में शामिल आतंकियों को ढेर, गृहमंत्री अमित शाह ने दिए पुख्ता सबूत।

नई दिल्ली- पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब सुरक्षाबलों ने उन आतंकियों को मिट्टी में मिला दिया है, जिन्होंने बायसरन घाटी में कायराना हमला कर 26 भोले-भाले लोगों की धर्म के आधार पर गोल मारकर हत्या कर दी थी। संसद में देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इस पूरे ऑपरेशन महादेव के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि, हमले का मास्टरमाइंड सुलेमान उर्फ फैजल जट, हमजा अफगानी और जिब्रान सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त ऑपरेशन में मारे गए हैं। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि, आखिर कैसे ये साबित हुआ कि, मारे गए आतंकी पहलगाम हमले में शामिल थे, कैसे हमारी सेना उनके ठिकाने तक पहुंची और क्यों ऑपरेशन महादेव के तहत आतंकियों का एनकाउंटर करने में 97 दिन लग गए।   

गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर के दूसरे दिन की चर्चा के दौरान एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के तीनों मुख्य आरोपी मारे जा चुके हैं। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ये तीनों पाकिस्तानी आतंकी पिछले दो महीने से चल रहे ऑपरेशन महादेव के तहत सुरक्षा बलों के हत्थे चढ़े। अब सवाल ये उठता है कि, आखिर कैसे पक्के तौर पर साबित हुआ कि मारे गए आतंकी ही पहलगाम हमले के असली मास्टरमाइंड थे..? आइए सिलसिलेवार समझते हैं इस ऑपरेशन महादेव की पूरी कहानी।

आतंकियों के पहलगाम हमले के शामिल होने की पुष्टि कैसे हुई..?

गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बताया कि 28 जुलाई शाम 6:46 बजे उन्हें वीडियो कॉल पर यह सूचना मिली कि, सुरक्षा बलों ने दाचीगाम नेशनल पार्क में तीन आतंकियों को मार गिराया है और मारे गए आतंकी वही हैं जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हमला किया था। अमित शाह ने जानकारी देते हुए बाताय कि, पुख्ता करने के लिए तीन स्तरों पर जांच कर पुष्टि की गई है।

1.चश्मदीद गवाहों और सहयोगियों ने शवों की पहचान की

हमले के तुरंत बाद NIA ने 1055 स्थानीय लोगों, टूरिस्ट, दुकानदारों, घोड़ा संचालकों और पीड़ित परिवारों से पूछताछ की। जांच के दौरान आतंकियों को खाना और शरण देने वाले परवेज जोथर और बशीर जोथर को हिरासत में लिया गया। जब तीनों आतंकियों, सुलेमान उर्फ फैजल जट, हमजा अफगानी और जिब्रान के शव श्रीनगर लाए गए, तो परवेज-बशीर समेत 4 गवाहों ने उनकी पहचान की और पुष्टि की कि यही पहलगाम हमले के हमलावर थे।

2. NIA द्वारा तैयार किए गए स्केच से शवों का मिलान

पूछताछ के दौरान NIA ने संदिग्धों के स्केच तैयार कराए थे, जिसमें उनके चेहरे, कद-काठी, बालों और कपड़ों का विवरण शामिल था। मारे गए आतंकियों की तस्वीरों और शवों की तुलना स्केच से की गई, जो पूरी तरह मेल खा गई।

3. बंदूकों से बैलिस्टिक टेस्ट: फायरिंग से मिला ठोस सबूत

आतंकियों के पास से बरामद हुई दो AK-47 और एक M9 अमेरिकी राइफल को विशेष विमान से चंडीगढ़ की FSL भेजा गया। FSL में इन राइफलों से रातभर गोलियां चलाई गईं और कारतूस के खोखे इकट्ठा किए गए। इन खोखों की तुलना पहलगाम हमले में बरामद खोखों से की गई और मैच पूरी तरह से साबित हो गया। 29 जुलाई सुबह 4:46 बजे वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि हमले में इन्हीं राइफलों का इस्तेमाल हुआ था।

तीनों आतंकियों के पाकिस्तानी नागरिक होने के प्रमाण को लेकर गृहमंत्री ने ठोस सबूत पेश किए।

1. पाकिस्तानी चॉकलेट्स- आतंकियों के सामान से पाकिस्तान में बनी चॉकलेट्स बरामद हुई जो उनकी पाक सीमा से घुसपैठ की ओर इशारा करती हैं।

2. पाकिस्तानी वोटर नंबर- दो आतंकियों, सुलेमान और हमजा के पास पाकिस्तानी वोटर आईडी नंबर मिले, जो उनकी नागरिकता का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

3. इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स- मई से जुलाई तक IB और सेना ने सिग्नल ट्रैकिंग व ह्यूमन इंटेलिजेंस से इन आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखी। ये आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के विंग से जुड़े पाए गए, जो पाकिस्तान से संचालित होता है।

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