क्या शिवराज सच में पत्नी को भूले या फिर मीडिया ने ग़लतफ़हमी को बना दिया ‘हेडलाइन’

जूनागढ़, गुजरात. एक दिन पहले सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों पर जो खबर पूरे दिन चलती रही – “शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी को कार में बैठाना भूल गए” – वह अब महज़ एक ग़लतफहमी साबित होती दिख रही है। जूनागढ़ जिला प्रशासन, कृषि विश्वविद्यालय के सूत्रों और प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के अनुसार यह घटना जैसी दिखाई गई, वैसी थी ही नहीं।

दरअसल, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान का काफिला जब कार्यक्रम स्थल से निकल रहा था, तब उनकी धर्मपत्नी कुछ दूरी पर दूसरी जगह पर थीं। गुजरात पुलिस की ओर से उन्हें अलग स्थान पर रोका गया था और सुरक्षा कारणों से काफिले का रूट पहले से ही तय था।

शिवराज सिंह चौहान को इस बात की जानकारी पहले से थी कि उनकी पत्नी काफिले में शामिल होंगी लेकिन अगले मोड़ से। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से सुझाव दिया था कि काफिला आगे जाकर यू-टर्न लेगा और वहीं से ‘मैडम’ को साथ लिया जाएगा, क्योंकि मौके पर गाड़ियों को मोड़ना संभव नहीं था। यह दूरी लगभग 1 किलोमीटर की थी, जो पूरी तरह लॉजिस्टिक और सुरक्षा निर्णय का हिस्सा थी। पर अफ़सोस, इस प्रक्रिया को कुछ मीडिया संस्थानों ने ‘भूल जाना’ और ‘काफिला वापस लौटाना’ जैसा रंग दे दिया। कई चैनलों ने इसे सनसनीखेज़ अंदाज़ में प्रस्तुत किया, जबकि न तो मंत्री जी ने कोई भूल की थी और न ही कोई आपात स्थिति बनी थी।

अब तक न तो शिवराज सिंह चौहान और न ही उनके कार्यालय की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है, लेकिन जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह एक सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया थी जिसे “भूल” कहकर सनसनी बना दिया गया।

क्या है पूरा मामला, समझिए

दरअसल, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ गुजरात के धार्मिक और सरकारी दौरे पर थे। उन्होंने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए, गिर के जंगलों में सिंहों को देखा और फिर शनिवार को मूंगफली शोध केंद्र में किसानों व ‘लखपति दीदी’ योजना से जुड़ी महिलाओं से संवाद किया।

उन्हें उसी रात 8 बजे राजकोट से फ्लाइट पकड़नी थी। चूंकि राजकोट का रास्ता खराब था, इसलिए वे हड़बड़ी में कार्यक्रम समाप्त कर मंच से सीधे काफिले के साथ रवाना हो गए। मंच पर वे बार-बार घड़ी देखते रहे और खुद भी कहा, “राजकोट का रास्ता खराब है, अगली बार फुर्सत से आऊंगा।”

इसी बीच, उनकी पत्नी गिरनार दर्शन के बाद लौट चुकी थीं और एक प्रतीक्षालय में बैठी थीं। अब जो बात सामने आई है, वह यह कि साधना सिंह अलग स्थान पर थीं, और ये पहले से तय सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें अगले मोड़ से काफिले में शामिल किया जाना था। यह दूरी लगभग एक किलोमीटर की थी और गाड़ियों को मौके पर मोड़ना संभव नहीं था।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

Open chat
Hello 👋
For more details contact us