शिवराज बोले- तत्कालीन UPA सरकार ने किसानों के साथ किया छलावा, MSP पर खरीद से साफ किया इनकार

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को संसद में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष और तत्कालीन यूपीए सरकार को जमकर घेरा। कृषि संबंधित प्रश्नों के जवाब देते हुए शिवराज ने कहा कि, तत्कालीन यूपीए सरकार ने किसान कल्याण, उनके विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाए। इनकी सरकार में भंडारण के लिए ना तो वेयर हाउस की व्यवस्था थी ना ही कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था थी। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार का एकमात्र लक्ष्य है कि, किसान कैसे सुखी हो उसकी समस्याओं का समाधान कैसे हो। किसान की सेवा हमारे लिए भगवान की पूजा से बढ़कर है और इसी भाव से अनेकों उपाय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में ये सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि, किसान अन्नदाता है, अन्न के भंडार भरता है, और अन्न जीवन देता है इसलिए किसान जीवनदाता भी है।

UPA सरकार ने किसानों से छलावा किया

केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, साल 2006 में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आई थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि, किसानों की लागत में 50% लाभ जोड़कर मिनिमम सपोर्ट प्राइज जोड़कर तय किया जाए, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने साफ इनकार कर दिया था। तत्कालीन कृषि मंत्री कांतिलाल भूरिया थे, उन्होंने कहा था 50% मुनाफा जोड़कर नहीं दिया जा सकता। शरद पवार कृषि मंत्री थे, उन्होंने ने भी कहा था कि, नहीं दिया जा सकता। थॉमस जी ने भी एमएसपी पर खरीद को खारिज कर दिया था। इन्होंने कहा 50% की वृद्धि निर्धारित करने से मंडी में विकृति आ जाएगी और ये किसी भी कीमत पर नहीं किया जा सकता है। श्री चौहान ने कहा कि, श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में कई गुना एमएसपी के दामों को बढ़ाया गया है। बाजरा का एमएसपी मूल्य, 1250 था, हमने बढ़ाकर 2625 रुपए कर दिया है। जों का समर्थन मूल्य1100 था, जिसे बढ़ाकर 1850 रूपए कर दिया है। ज्वार हाइब्रिड 1500 से 3571, मक्का 1310 से 2225, भांग 1345 से 2320, रागी 1500 से 4290, गेहूं 1400 से 2275 और किसान उड़द, मसूर और तुअर जितनी भी पैदा करेगा नरेंद्र मोदी की सरकार खरीदने का काम करेगी। तत्कालीन यूपीए सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है जबकि नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने 50% लागत में मुनाफा जोड़कर मिनिमम सपोर्ट प्राइज तय किए हैं, किसान को ठीक दाम देने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। किसान के कल्याण और विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

पश्चिम बंगाल सरकार कर रही योजना का दुरूपयोग

केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, मनरेगा में 100 दिन का रोजगार देना हमारी प्रतिबद्धता है। कई परिवार ऐसे हैं जो 50 दिन का रोजगार मांगते हैं। कोई 60 दिन का रोजगार मांगते हैं, लेकिन जितने दिन का वो रोजगार मांगते हैं उतना रोजगार दिया जाता है, और नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में आवंटन को 3 गुना ज्यादा बढ़ाया है। चौहान ने कहा कि, एक स्वर्गीय प्रधानमंत्री कहते थे कि, मैं एक रुपया भेजता हूं तो 15 पैसा ही पहुंचता है, लेकिन नरेंद्र मोदी जी ने कहा है ना खाऊंगा ना खाने दूंगा। अगर इस योजना का कोई दुरुपयोग कर रहा है, अनियमितता कर रहा है, गाइड्लाइन के बाहर जाकर काम कर रहा है, फंड को डाइवर्ट कर रहा है, योजना का नाम बदल रहा है तो ऐसे मामले में केन्द्र सरकार उन पर कार्यवाही कर रही है। पश्चिम बंगाल ने कई अनियमितताएं की है, कई डाइवर्ट किए गए, कई योजनाओं का नाम बदला है, इसलिए एफआईआर भी हुई है और पश्चिम बंगाल सरकार अधिकारियों को बचाने का काम कर रही है। ये पैसा मजदूरों के लिए है, खाने के लिए नहीं है।

एग्री इंफ्रा फंड किसानों के हित में बड़ा कदम

केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हमारी सरकार अनेकों उपाय कर रही है। उनमें से एक उपाय है किसान का उत्पादन बढ़ाना। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि, प्रधानमंत्री जी के प्रयत्नों के कारण देश के अन्न के भंडार भरे हैं। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि, आज हमारी कृषि विकास दर 4% के आसपास है लेकिन अन्न के भंडार या फल या सब्जी के उत्पादन के बाद एक समस्या आती है और वो समस्या है उसके उचित भंडारण की। प्रधानमंत्री मोदी जी ने किसानों के हित में एग्रिकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने का एक बड़ा कदम उठाया। मुझे बताते हुए खुशी है कि, 1 लाख करोड़ रूपए की एग्रो इन्फ्रा फंड की योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी लेकर आए। इस योजना के अंतर्गत अब तक पूरे देश में 31 राज्य सम्मिलित हैं। कुल मिलाकर 72 हजार 222 संरचनाएं, जिनकी लागत 76 हजार 305 करोड़ रूपए है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़. ओडिशा, केरल, बिहार, असम, झारखंड, जम्मू-कश्मिर, दिल्ली, गोवा, चंडीगढ़, त्रिपुरा, चारों तरफ भंडारण की उचित व्यवस्था की जा रही है और इसके कारण किसान को अपने उत्पाद को औने-पौने दाम पर बेचना नहीं पड़ता। वो जब चाहता है वेयर हाउस या कोल्ड स्टोरेज में रखता है और उचित दाम मिलने पर बेचता है। ये किसान की खेती को फायदे का धंधा बनाने के लिए बहुत बड़ा कदम है। जिसका लाभ पूरे देश के किसान उठा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया जा सकता है। वो निर्माण निजी निवेशक भी कर सकता है। FPO किसानों के समूह भी कर सकते है, स्वयं सहायता समूह भी कर सकता है, इन्डिविजुअल कोई छोटा किसान करना चाहे तो कोल्ड स्टोरेज उसके लिए इतना लाभ का काम साबित नहीं होगा, लेकिन इसमें इतनी व्यवस्था है कि, किसानों का समूह FPO इस तरह के कोल्ड स्टोरेज लगा सकते है। जिनमें किसान के टमाटर सुरक्षित रखे जा सकते है।

अन्नदाता को उर्जादाता बनाने का संकल्प

केन्द्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी बहुत विज़नरी लीडर हैं। उन्होंने संकल्प लिया है कि, अन्नदाता को उर्जादाता बनाएंगे। जिसके लिए कुसुम योजना है, जिसके तीन कंपोनेंट हैं, कुसुम-A, कुसुम-B और कुसुम-C, कुसुम-A में बंजर भूमि पर कोई सोलर पैनल बिछाकर बिजली उत्पादित करना चाहे तो कर सकता है। कुसुम-B के अंतर्गत सोलर पैनल अपने खेत में लगाकर अपनी सिंचाई की व्यवस्था भी कर सकता है, और वह चाहे तो ग्रीड में उत्पादित बिजली बेचकर लाभ भी प्राप्त कर सकता है। कुसुम-C योजना के अंतर्गत वह अपना सोलर पैनल लगाकर अपनी सिंचाई की व्यवस्था भी कर सकता है। उन्हेंने कहा कि, मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि, कुसुम-B और कुसुम-C एग्रिकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की योजना के अंतर्गत सम्मिलित कर ली गई है और कुसुम-A पर भी अभी विचार किया जा रहा है।

प्राकृतिक खेती मिशन

चौहान ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सूक्ष्म सिंचाई जैसी अनेकों परियोजनाओं पर काम चल रहा है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत 70 लाख हेक्टेयर जमीन इसके अंतर्गत लाई गई है, जिससे कम पानी में ड्रिप और स्प्रिंकलर के माध्यम से सिंचाई की अधिकतम व्यवस्था हो सके और किसान की लागत भी कम की जा सके। इसके अलावा नरेंद्र मोदी जी की सरकार रिवर लिंकिंग जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। केन-बेतवा जैसे कई प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं उन पर भी पानी की व्यवस्था के लिए सरकार ने योजना बनाई हैं। सिंचाई का रकबा भी बढ़ाया जा रहा है। जहां तक प्राकृतिक आपदा का सवाल है तो उसमें राज्य जब अपनी रिपोर्ट भेजते हैं तो केंद्र सरकार अपने दल को भेजकर परीक्षण करवाती है और जो नियम और प्रक्रिया है उसके अंतर्गत सहायता देने का काम करती है। मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि, प्राकृतिक खेती मिशन प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रारंभ किया जा रहा है। ज्यादा केमिकल फर्टिलाइजर के उपयोग के कारण मानव शरीर पर भी प्रभाव पढ़ रहा है। जमीन की उत्पादक क्षमता भी कम हो रही है। आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती भी हमें सुरक्षित रखना है। इसलिए प्राकृतिक खेती पर पूरी गंभीरता के साथ सरकार काम कर रही है और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी देने के प्रावधान पर गंभीरता पूर्वक विचार हो रहा है। जिससे लागत भी घट सके और सुरक्षित उत्पाद भी हमें मिल सकें। साथ ही धरती का स्वास्थ्य भी बच सकें।

किसानों के लिए छह सूत्रीय रणनीति

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि, किसान कल्याण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की पहली प्राथमिकता है। किसानों के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व मे अनेकों योजनाएं प्रारंभ हुई है। किसानों की आय दोगुनी हो इसके लिए सरकार की छह सूत्रीय रणनीति है। पहला उत्पादन बढ़ाना, दूसरा उत्पादन की लागत घटाना, तीसरा उत्पादन के ठीक दाम देना, चौथा प्राकृतिक आपदा में सरकार फसल बीमा जैसी योजना के माध्यम से नुकसान की भरपाई करती है राहत देती है। पांचवां फसलों का विवधिकरण और छटवां प्राकृतिक खेती जैसी योजना को प्रारभ करना। इसलिए मैं कहता हूँ कि, किसान के कल्याण के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आय बढ़ाने के लिए सुनियोजित प्रयास किए जा रहे हैं, और किसान को ठीक दाम मिले उसके लिए अनेकों प्रयत्न किए गए है।

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